गंभीर मुद्दे का मज़ाक उड़ाना और विपक्ष को अपमानित करना असहनीय- साय

प्रादेशिक मुख्य समाचार

प्रदेश भाजपाध्यक्ष विष्णुदेव साय के प्रेस वार्ता में कहा वैश्विक महामारी कोरोना के इस आपातकाल में जब सबके साथ मिलकर, सबको साथ लेकर काम करने की ज़रुरत थी, तब कांग्रेस सरकार द्वारा सामान्य लोकतांत्रिक शिष्टाचार तक का परिचय नहीं दे पाना दुखद है. टीकाकरण की परिस्थितियों से अवगत कराने और इस संबंध में चर्चा कर कुछ सुझाव देने हमने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी से प्रत्यक्ष मिलने का समय चाहा था. भाजपा का उच्च स्तरीय शिष्टमंडल जिसमें नेता प्रतिपक्ष श्री धरम लाल कौशिक, सांसद श्री सुनील सोनी और विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर जी के साथ हम मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर कुछ ज़रूरी सुझाव देना चाहते थे लेकिन, मिलने का समय देना तो दूर उन्होंने काफी ठंडी प्रतिक्रया दी और कांग्रेस के हैंडल से हिकारत भरे सन्देश ट्वीट किये गए.
इस तरह इतने गंभीर मुद्दे का मज़ाक उड़ाना और विपक्ष को अपमानित करना असहनीय है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. अभी मुझे सीएम कार्यालय से बताया गया है कि 12 तारीख को वर्चुअल माध्यम से हम बात कर सकते हैं. जिस तरह के हालात है प्रदेश में, जहां एक-एक दिन में परिस्थियां विकराल हो रही है वहां विपक्ष से मिलने के लिए 12 तारीख का, वह भी आभासीय माध्यम से समय देना यह दिखाता है कि विधायी मर्दायाओं और परम्पराओं तक के प्रति कितना हिकारत रखती है कांग्रेस. इस सरकार के लिए किस तरह ऐसे कठिन समय में भी विपक्ष के अनुभव और उसके फीडबैक आदि महत्वहीन है. कोरोना के कठिन समय में प्रदेश को अपने हाल पर छोड़ लगातार अन्य प्रदेशों में व्यस्त रहने, क्रिकेट आदि देखने और उसका मुफ्त पास गांवों तक में बांट कर कोरोना फैलाने का समय था इनके पास लेकिन, विपक्ष के शिष्टमंडल से मिलने का समय नहीं है. छत्तीसगढ़ ने इतना अमर्यादित लोकतांत्रिक व्यवहार इससे पहले कभी नहीं देखा है.
इससे दुर्भाग्यजनक कुछ नहीं हो सकता कि नकली शराब पीने से प्रदेश के दस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी तो उसे भी इन्होंने शराब की कमाई करने के लिए बहाने के रूप में उपयोग कर लिया. इतने बड़े आपदा को भी विकृत अवसर में बदलने की इस कोशिश की जितनी निंदा की जाय, यह कम है.
आप सब जानते ही हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना में छत्तीसगढ़ आज भयंकरतम दौर से गुजर रहा है। हालात भयावह हैं। प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 8.50 लाख पहुंचने वाले हैं। और रिकवरी रेट 80 प्रतिशत के आसपास आ गया है। 10 हज़ार से अधिक लोग अभी तक अकाल काल-कवलित हो चुके हैं। रोज सैकड़ों मौतें हो रही हैं। ये तो वे आंकड़े हैं जो सरकार ने जारी किये हैं। बड़ी संख्या न तो संक्रमण रजिस्टर हो रहे हैं और न ही सभी मौतों की जानकारी दर्ज हो पा रही है. फिर शासकीय स्तर पर ही आंकड़े छिपाये जा रहे हैं। श्मसानों में कई-कई दिन की प्रतीक्षा सूची है. मर्च्युरी में कई गुना अधिक लाश रखने पड़ रहे हैं. इससे वीभत्स हालात की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि छत्तीसगढ़ में ऐसे बुरे हालात नहीं होते अगर यहां कांग्रेस सरकार ने समय रहते पर्याप्त कदम उठाये होते तो. अभी के भयावह हालात में एकमात्र आशा की किरण देश में विकसित अपने टीके हैं. लेकिन टीकाकरण के मामले में भी लगातार कांग्रेस सरकार ने जिस तरह के हठधर्मिता का परिचय दिया है, जिस तरह माननीय उच्च न्यायालय से बार-बार फटकार लगने के बावजूद यह सरकार अड़ी रही, यहां तक कि टीकाकरण को रोकने का भी निर्णय ले लिया यह अफसोसनाक है. ऐसा उदाहरण देश भर में कहीं और देखने को नहीं मिला है.

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