रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को प्रदेश के एक मंत्री रवींद्र चौबे द्वारा घोटालों का महानायक कहे जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज़ कराते हुए कहा कि ‘घोटालों का महानयक’ वाले तमगे पर तो कांग्रेस के ‘खानदान’ का ही एकाधिकार सुरक्षित है और उसकी छत्रछाया में कांग्रेस के दीग़र नेता भी देशभर में लूटखसोट का कलंकित इतिहास रच चुके हैं। श्री कौशिक ने कहा कि ‘परिवार’ की चाटुकारिता में लगे प्रदेश कांग्रेस के नेता और मंत्री डॉ. सिंह पर निराधार आरोप मढ़ते समय यह न भूलें कि भ्रष्टाचार और आर्थिक गड़बड़ियों के मामले में कौन-कौन जमानत पर बाहर घूम रहे हैं?
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार के पास प्रमाणित साक्ष्य हैं तो वह डॉ. सिंह के ख़िलाफ़ जाँच कराने का साहस क्यों नहीं जुटा पा रही है? वस्तुत: प्रदेश सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं को आसमान पर थूकने की लत लगी हुई है और निराधार आरोप लगाकर वे चरित्र हनन की राजनीति करने के ही आदी रहे हैं। श्री कौशिक ने सवाल किया कि डॉ. सिंह के ख़िलाफ़ बेतुके आरोप लगाने से पहले कांग्रेस नेताओं की समझ को काठ क्यों मार जाता है, समझ से परे है। आय से अधिक संपत्ति के जिस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता और मंत्री व्यक्तिगत विद्वेष का प्रदर्शन करते अर्श पर उड़ रहे हैं, उसमें कोई दम नहीं है और सच्चाई सामने आने पर वे औंधे मुँह फर्श पर गिर पड़ेंगे। आरोप लगाकर पीठ दिखाकर भाग जाने की निंदनीय और गर्हित राजनीति करता नज़र आ रहा सत्तापक्ष क्या इसीलिए ईओडब्ल्यू और पीएमओ से गुजारिश करने की सियासी चतुराई दिखाकर प्रदेश को भरमा रहा है, जबकि वह खुद इस मामले की जाँच करा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि हाल ही हुए एक सर्वे के मुताबिक़ दरअसल प्रदेश सरकार ने अपने नाकारापन के चलते अब जनविश्वास पूरी तरह खो दिया है। किसानों, आदिवासियों, ग़रीबों-मज़दूरों, युवाओं, महिलाओं समेत प्रदेश के हर वर्ग का इस सरकार से महज़ 20 महीनों में जिस तरह मोहभंग हुआ है और महज़ 02 फीसदी लोग ही राज्य सरकार को भरोसे के क़ाबिल मान रहे हैं, उससे बौखलाई-घबराई प्रदेश सरकार और कांग्रेस अब इस तरह की चरित्र हनन की गंदी राजनीति करके प्रदेश का ध्यान अपनी नाकामियों से हटाने का शर्मनाक उपक्रम कर रही है। श्री कौशिक ने कहा कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर आज तक प्रदेश की कांग्रेस सरकार के निकम्मेपन की तो शायद ही कोई दूसरी मिसाल मिले। न तो उसने इसकी जाँच और उपचार को लेकर गंभीरता दिखाई, न क्वारेंटाइन सेंटर्स और कोविड अस्पतालों में पुख़्ता इंतज़ाम किए, न परेसान-प्रभावित परिवारों और प्रवासी श्रमिकों के प्रति कोई संवेदना दिखाई और अब अपने पूरे कार्यकाल की विफलताओं के बोझ से इस सरकार की प्रामाणिकता दम तोड़ चुकी है।