रूस में आए भूकंप को लेकर जेएनयू प्रोफेसर ने बताया कि इस भूकंप का असर 12 से भी अधिक देशों में पड़ेगा और भूकंप के बाद सुनामी भी उसी तीव्रता में आएगी. उन्होंने कहा कि आमतौर पर सुनामी की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है और लहरें लगभग 12 फीट ऊंची होती हैं. यह सुनामी किसी भी क्षेत्र के लिए कोई त्रासदी से कम नहीं होगी.
रूस के पूर्वी कामचटका में बुधवार को भूकंप आने से लोगों के बीच हड़कंप मच गया. रूस में आए इस भूकंप को लेकर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के एनवायरमेंट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पवन कुमार जोशी ने कहा कि इस भूकंप का असर 12 देशों में अधिक पड़ेगा. उन्होंने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि साथ ही भूकंप के बाद आने वाली सुनामी भी उसी तीव्रता से आएगी.
प्रोफेसर पवन कुमार जोशी बताते है कि पृथ्वी के संरचना की विभिन्न भूगर्भीय प्लेट से बनी होती है और ये प्लेट लगातार मूव करती रहती हैं. उन्होंने बताया कि भू-गर्भ में जो प्रक्रिया होती है, उससे ऊर्जा उत्पन्न होती है और जब ऊर्जा की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह प्लेट आपस में टकराती हैं, जिससे पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न होता है. पृथ्वी के इस कंपन्न को ही भूकंप या अर्थक्वेक कहते हैं.
प्रोफेसर ने रूस में भूकंप आने का कारण बताते हुए कहा कि रूस में एक नॉर्थ अमेरिका प्लेट्स है और एक नॉर्थ स्पेसिफिक प्लेट्स है. दोनों प्लेट्स जमीन के नीचे और समुद्र के नीचे आपस में टकराई हैं, जिसके कारण लगभग 8.8 रिएक्टर की तीव्रता का भूकंप आया है.
भूकंप आने का अनुमान पहले से नहीं लगाया जा सकता
प्रोफेसर ने कहा कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता लेकिन विज्ञान अपने क्षेत्र में लगातार शोध कर रहा है. आज की तारीख में सैटेलाइट से आंकड़े मिलते हैं उससे लगातार मैपिंग करें तो आप ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर सकते हैं जहां पर भूकंप आने के उम्मीद ज्यादा हैं. जिससे आप एक-दो दिन पहले उसका पूर्वानुमान लगा भी सकते हैं. इसी तरह से जीपीएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं और एसएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. इसको लेकर जापान और अन्य देशों में रिसर्च हुई है और उनका मानना है कि ऐसा किया जा सकता है. लेकिन वैश्विक स्तर पर भूकंप का पूर्वानुमान प्रिडिक्ट नहीं किया जा रहा सकता.
उन्होंने कहा कि अगर आप वर्ल्ड मैप देखें तो इस भूकंप का असर रूस ,अमेरिका ,नॉर्थ अमेरिका और जापान के फिलीपींस इलाके पर भी पड़ा है. यह भूकंप समुद्र तल के नीचे से उत्पन्न हुआ है, जिसके कारण सुनामी जैसी एक्टिविटी होने की संभावना अधिक है.
किन-किन जगहों में पड़ेगा असर
प्रोफेसर पवन गुप्ता बताते हैं कि सुनामी की जो ऊंचाई बताई जा रही है उसका आकलन 3 से 4 मीटर है, जो मोटे तौर पर 12 फीट, से 13 फीट ऊंचाई पर होगा. उन्होंने कहा कि अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका असर अमेरिकी तट रेखा क्षेत्र में और कैलिफोर्निया में भी देखने को मिल सकता है. जापान में इसका असर ज्यादा देखने को मिल सकता है, फिलीपींस तक इसका असर देखा जाएगा. प्रोफेसर ने कहा कि इसके साथ-साथ समुद्र तल में जो छोटे छोटे द्वीप है, उस पर भी इसका असर ज्यादा देखा जाएगा.
धरातल में भूकंप आने पर सुनामी के चांस ज्यादा
प्रोफेसर बताते हैं कि अगर भूकंप धरातल में आता है, तो सुनामी के चांसेस कम होते हैं और अगर समुद्र में आता है तो सुनामी के चांसेस ज्यादा होते हैं. उन्होंने कहा कि रूस में जो भूकंप आया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुनामी आने के चांसेस ज्यादा है. आस पास के तटीय क्षेत्रों में इसका असर देखने को मिल सकता है. उसके अलावा छोटे-छोटे जो द्वीप है उसे पर उसका असर दिखाई देगा.
तीव्रता और समय कितना अनुमान लगाना मुश्किल
जोशी कहते है कि सुनामी की तीव्रता और समय कितना हो सकता है यह कहना मुश्किल है. यह मानकर चलिए कि आमतौर पर इसकी रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे के हो सकती है और लहरें लगभग 12 फीट ऊंची होती हैं. उन्होंने कहा कि इतनी ऊंची और तेज लहरों का पानी क्षेत्र में तबाही ला सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आप ऐसे समझ सकते हैं कि किसी भी बिल्डिंग का ग्राउंड फ्लोर उस पानी के दबाव में पूरी तरह बर्बाद हो सकता है. प्रोफेसर ने बताया कि सुनामी का झटका 5 से 15 मिनट के आसपास का होगा, लेकिन इस तीव्रता से पानी आना या अपने आप में एक बड़ी त्रासदी और तबाही लेकर आएगा जिससे नुकसान बहुत ज्यादा होगा.
