नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जांच की स्थिति की रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि परीक्षा का प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर सर्कुलेट नहीं हुआ था। सीबीआई ने उच्च न्यायालय से कहा है कि पेपर लीक बिहार के एक परीक्षा केंद्र तक ही सीमित था और इससे सिर्फ कुछ छात्र प्रभावित हुए। कोर्ट को सीबीआई के इस निष्कर्ष से पेपर लीक की सीमा और परीक्षा पर इसके प्रभाव के बारे में ज्यादा स्पष्टता मिलेगी।
इंडिया टुडे के हवाले से सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सुप्रीम कोर्ट में यह बात रख सकता है कि नीट-यूजी 2024 पेपर लीक व्यापक स्तर पर नहीं हुआ था बल्कि स्थानीय था। सीबीआई ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को जांच की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है। सीबीआई ने यह भी बताया है कि लीक हुआ पेपर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट नहीं हुआ था। हालांकि इससे पहले यह कहा गया था कि पेपर को बड़े स्तर पर सोशल मीडिया पर ऑनलाइन शेयर किया गया था। सीबीआई का यह तर्क केंद्र सरकार के रुख से मिलता है। केंद्र ने 5 मई को NEET-UG की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए 23 लाख छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराने का विरोध किया है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने हलफनामे में कहा है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत नहीं मिला है। आईआईटी-मद्रास द्वारा NEET-UG 2024 के रिजल्ट के डेटा विश्लेषण का हवाला देते हुए केंद्र ने यह भी कहा कि NEET-UG 2024 में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो साबित करे कि स्थानीय उम्मीदवारों को ज्यादा फायदा मिलने की वजह से उन्हें बहुत ज्यादा नंबर मिले हो। केंद्र ने यह कोर्ट के सामने यह हलफनामा तब रखा जब जब शीर्ष अदालत ने यह जानना चाहा कि क्या संदिग्ध मामलों की पहचान करने और नकल करने वाले छात्रों को बाकी छात्रों से अलग करने के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना संभव होगा।
क्या है NTA का पक्ष
वहीं एक अलग हलफनामे में NEET-UG का आयोजन कराने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने कोर्ट से कहा है कि सोशल मीडिया ऐप टेलीग्राम पर लीक हुए क्वेश्चन पेपर की तस्वीरें दिखाने वाले वायरल वीडियो फर्जी थे। NTA ने कहा है कि उसने राज्य, शहर और केंद्र स्तर पर NEET परीक्षा में नंबर कैसे दिए गए इसका विश्लेषण किया था। एनटीए ने अपने हलफनामे में कहा, “यह विश्लेषण दिखाता है कि अंकों का वितरण बिल्कुल सामान्य है और ऐसी कोई वजह नहीं दिख रही जो नंबर देने को प्रभावित कर सके। वहीं परीक्षा और परिणामों ने लगातार हो रही गड़बड़ी के बाद NTA के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं।