किसी भी बीमारी के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाईयों का सेवन करना पसंद करते है। एंटीबायोटिक दवाई का सेवन करने से दर्द और सूजन पर आराम मिलता है। एंटीबायोटिक दवाएं ही आंतों में मौजूद अच्छे सूक्ष्म जीवों के समूह यानी माइक्रोबायोम को नुकसान का काम करती है इसे लेकर पहले कहा जाता था। हाल ही में एक स्टडी से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें पाया गया कि,गैर-एंटीबायोटिक दवाएं भी आंतों की सेहत को बिगाड़ सकती हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसका सेवन अधिक नहीं करने की सलाह डॉक्टर्स देते है।
जानिए क्या कहती है स्टडी
यहां पर स्टडी में पाया गया कि, आमतौर पर दी जाने वाली कुछ दवाएं न सिर्फ माइक्रोबायोम की संरचना बदल देती हैं, बल्कि शरीर को ऐसे एंटी-माइक्रोबियल तत्व बनाने के लिए प्रेरित करती हैं जो खुद की ही आंतों के बैक्टीरिया पर हमला करते हैं। दरअसल, यह स्टडी जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार, गट माइक्रोबायोम (आंत माइक्रोबायोटा) यह तय करने में भी भूमिका निभा सकता है कि कौन-से व्यक्ति किस दवा पर अच्छी प्रतिक्रिया देंगे और कौन-से नहीं।
10 साल के डाटा का हुआ विश्लेषण
बताते चलें कि, स्टडी का विश्लेषण सामान्य तौर पर किया गया है। इस शोध में 10 लाख से अधिक लोगों का मेडिकल डाटा शामिल किया गया। 10 साल पुराने इस डाटा का विश्लेषण करने के बाद ये जानकारी सामने आई है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 21 गैर-एंटीबायोटिक दवाएं चुनीं, जिनका गहराई से अध्ययन किया गया। बताया जा रहा है कि, लगभग आधी दवाएं आंतों के माइक्रोबायोम की संरचना बदलने से जुड़ी पाई गईं। ये 4 दवाएं हैं, डिगोक्सिन (हृदय की बीमारी की दवा), क्लोनाजेपाम (मिर्गी और एंग्जायटी के लिए), पैंटोप्राजोल (एसिडिटी के लिए), और क्वेटियापिन (मनोवैज्ञानिक समस्याओं की दवा)। इन दवाओं का सेवन नुकसान दायक होता है।
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबियल पैथोजेनेसिस विभाग के प्रो. एंड्रयू गुडमैन ने कहा, “हमने देखा कि कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भी संक्रमण का उतना ही जोखिम पैदा करती हैं जितना कि एंटीबायोटिक दवाएं।” इन दवाओं का सेवन करना नुकसान पहुंचाता है।
