ब्रह्मपुत्र नदी घाटी (बीआरवी) के लिए यह अच्छी खबर है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि भारत के उत्तर-पूर्व (पूर्वोत्तर) भाग के इस क्षेत्र में निकट ओजोन की सतह की सांद्रता भारत के अन्य स्थानों की तुलना में कम है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र नदी घाटी (बीआरवी) के निकट ओजोन सतह का मूल्यांकन किया है और भारत के अन्य शहरी स्थानों की तुलना में गुवाहाटी के ऊपर ओजोन का अपेक्षाकृत कम सांद्रता पाई है। उनका वर्तमान कार्य हाल ही में ‘वायुमंडलीय प्रदूषण अनुसंधान’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
क्षोभमंडलीय या जमीनी-स्तर के ओजोन नाइट्रोजन (NOx) के ऑक्साइड्स और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा बनाया गया है। यह आमतौर पर तब बढ़ता है जब कारों, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, रिफाइनरियों, रासायनिक संयंत्रों और अन्य स्रोतों से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में उत्सर्जित प्रदूषक रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे मानव का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
डॉ. उमेश चंद्र दुमका (वैज्ञानिक, एआरआईईएस, नैनीताल, भारत) के नेतृत्व में डॉ. ए. एस. गौतम (हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर), डॉ. सुरेश तिवारी (वैज्ञानिक, भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली शाखा) और प्रोफेसर फिलिप के. होपके (अनुबद्ध प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री, यूएसए) और प्रोफेसर आर. के. चक्रवर्ती (वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, यूएसए) और टीम के अन्य सदस्यों ने ब्रह्मपुत्र नदी घाटी क्षेत्र में ओजोन और अन्य वायु प्रदूषकों की परिवर्तनशीलता का विश्लेषण किया। यह ओजोन के उत्सर्जन स्रोत और विशेष रूप से मिथेन (CH4) और एनएमएचसी के उत्सर्जन स्रोत की पहचान करने के लिए ओजोन के सामयिक, सप्ताह के दिन, और विशेषताओं का भी आकलन किया, तथा साथ ही उष्णकटिबंधीय इलाकों में मौसम संबंधी मापदंडों, ओजोन और उसके पूर्ववर्ती लक्षणों के बीच संबंधों का भी अध्ययन किया।