‘आपातकाल के काले दिन लाने वाले’ संविधान के प्रति प्रेम का दावा नहीं कर सकते: मोदी

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इंडिया समूह के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ देश के संविधान के लिये सबसे बड़ा खतरा होने का नारा लगाये जाने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पलटवार करते हुये कहा कि आपातकाल लगाने वालों को संविधान के प्रति प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।
श्री मोदी ने सोशल मीडिया पर सिलसिलेवार पोस्ट में कांग्रेस पर 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा करीब 21 महीने तक लगाये गये आपातकाल के लिये हमला बोला। आपातकाल को ‘काले दिन’ के रूप में याद करते हुये उन्होंने कहा , “यह दिन हमें याद दिलायेगा कि कैसे कांग्रेस ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।”
उन्होंने कहा, “जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया था, वह अभी भी उसी पार्टी में जीवित है। आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है , जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया।”
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है, जब देश आज 25 जून को आपातकाल लागू होने की 49 साल पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा , “ सिर्फ सत्ता पर काबिज रहने के लिये तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हर लोकतांत्रिक सिद्धांत की अवहेलना की और देश को जेल बना दिया। कांग्रेस से असहमत होने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित और परेशान किया जाता था। सबसे कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिये सामाजिक रूप से प्रतिगामी नीतियां लागू की गयी थी। ”
श्री मोदी ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुये कहा, “आपातकाल लागू करने वालों को हमारे संविधान के प्रति अपने प्रेम का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने अनगिनत मौकों पर अनुच्छेद 356 लगाने के साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने वाला विधेयक पारित किया तथा संघवाद को नष्ट किया। संविधान के हर पहलू का उल्लंघन किया। ”
उन्होंने दोहराया कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह अभी भी उसी पार्टी में जीवित है। उन्होंने कहा, “ वे अपने दिखावे के ज़रिये संविधान के प्रति अपनी घृणा को छिपाते हैं, लेकिन देश के लोगों ने उनकी हरकतों को समझ लिया है और इसीलिये उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है। आपातकाल की घोषणा ठीक 49 साल पहले 24-25 जून- 1975 की मध्यरात्रि को की गयी थी, जिसे 21 मार्च को हटाया गया था। ”

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