नई दिल्ली । राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा हो रही है। चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा, ‘ये महान सदन वंदे मातरम के भाव के लिए, यशोगान के लिए और वंदे मातरम को चिरंजीव बनाने के लिए चर्चा करे और इस चर्चा के माध्यम से हमारे देश के बच्चे, किशोर, युवा आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम के आजादी के लिए योगदान को याद करें। वंदे मातरम की रचना में राष्ट्र के प्रति समर्पण का जो भाव है, उसका आने वाले भारत की रचना में योगदान, इन सभी चीजों से हमारी आने वाली पीढ़ियां भी युक्त हों। इसलिए मैं सभी का अभिनंदन करता हूं कि आज यह चर्चा सदन में हो रही है।’
उन्होंने कहा, ‘जब वंदे मातरम की चर्चा हो रही है, कल कुछ सदस्यों ने लोकसभा में प्रश्न उठाया था कि आज वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत क्या है। वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत वंदे मातरम के प्रति समर्पण की जरूरत, जब वंदे मातरम बना था, तब भी थी, आजादी के समय भी थी, आज भी है और 2047 में जब आधुनिक भारत होगा, तब भी रहेगी। क्योंकि वंदे मातरम में कर्तव्य और राष्ट्रभक्ति की भावना है। तो जिन्हें वंदे मातरम पर चर्चा की वजह समझ नहीं आ रहा, उन्हें नए सिरे से सोचने की जरूरत है।’
वंदे मातरम राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार बनेगा
शाह ने कहा, ‘यह वंदे मातरम का गान, गीत यह भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने का नारा बना था। आजादी के उद्घोष का नारा बन चुका था। आजादी के संग्राम का बहुत बड़ा प्रेरणा स्त्रोत बना था। और शहीदों को सर्वोच्च बलिदान देते वक्त अगले जन्म में भी भारत में ही जन्म लेकर बलिदान की प्रेरणा भी वंदे मातरम से ही मिलती है। वंदे मातरम की दोनों सदनों में चर्चा से, इसके गौरव गान से हमारे बच्चे, किशोर, युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम के महत्व को समझेंगी और उसे राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार भी बनाएगी।’
