धान खरीद नीति में बदलाव: पंजीयन के बावजूद नहीं हो रहा खरीद, 21 क्विंटल उत्पादन अनिवार्य

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रायगढ़। सरकार ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान उपार्जन का वादा किया है। पिछले कई सालों से रकबा रिक्त रहने का सिलसिला चल रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि इतना उत्पादन नहीं होता। किसी-किसी क्षेत्र में ही इतना उत्पादन होता है। इसी वजह से रकबा रिक्त रह जाता है। जमीन से औसत उत्पादन जांचने के बाद जो परिणाम आता है, उससे पता चलता है कि जिले में २१ क्विंटल उत्पादन ही नहीं है। धान खरीदी के लिए प्रदेश भर में प्रति एकड़ २१ क्विं. मात्रा तय है। चाहे वह अत्यधिक उपजाऊ क्षेत्र हो या कम पैदावार वाला क्षेत्र। वर्ष २४-२५ में जिले में १,२७,०३६ हे. का पंजीयन हुआ था।

इसमें से ९८०५३ हे. में ५०,८७,९७६ क्विं. धान खरीदी हुई। २८९८३ हे. रकबा रिक्त रह गया। बेचे गए रकबे को एकड़ में बदलने पर यह २,४२,२९४ एकड़ होता है। पंजीयन रकबा के हिसाब से करीब १६ क्विं. प्रति एकड़ की खरीदी हुई है। दरअसल किसान पंजीकृत पूरे रकबे परद धान नहीं बेच पाता है। किसी किसान का दस एकड़ पंजीयन होता है तो उसके पास २१० क्विं. धान होना चाहिए। लेकिन उपज करीब १४७ क्विं. होती है। सात एकड़ में २१ क्विं. के हिसाब से १४७ क्विं. की खरीदी हो जाती है। बचे तीन एकड़ में भी धान लगा था लेकिन उत्पादन इतना नहीं हुआ कि कोटा पूरा हो सके। ऐसे ही रकबे पर फर्जी खरीदी की जाती है।

उत्पादकता परीक्षण करता है विभाग
कृषि विभाग हर साल खरीफ सीजन में उत्पादकता परीक्षण करता है। वर्ष २०२० में खरीफ सीजन में धान की उत्पादकता २५८० किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई थी। मतलब प्रति एकड़ १०४४ किलोग्राम या १०.४४ क्विंटल हुआ। जबकि २०२० में २० क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी हुई। इसी तरह खरीफ २०२१ में १०.६८ क्विं. प्रति एकड़, २०२२ में १०.७६ क्विं. प्रति एकड़ और २०२३ में करीब १०.९२ क्विं. प्रति एकड़ रही। २०२४ में करीब ११.१५ क्विं. प्रति एकड़ होने का अनुमान था। जिले में खरीफ धान की उत्पादकता २१ क्विं. प्रति एकड़ से कम होती है, लेकिन इसका धान खरीदी से कोई संबंध नहीं होता।

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