जल संरक्षण से बदली बैगा बाहुल्य ग्राम इन्द्रिपानी की तस्वीर

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मनरेगा से निर्मित तालाब ने पानी की समस्या का समाधान कर खोले आजीविका के रास्ते

बैगा बाहुल्य वनांचल ग्राम दुर्जनपुर में ग्रामीणों को मिला रोजगार और मछलीपालन का साधन

रायपुर, ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा जल को संजोय रखने के लिए डबरी, कूप, तालाबों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से तालाब गहरीकरण कर जल समस्या का स्थायी समाधान किया जा रहा है। विकासखण्ड बोड़ला का बैगा बाहूल्य ग्राम पंचायत दुर्जनपुर का आश्रित मोहल्ला इन्द्रिपानी विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा बाहुल्य बस्ती है, जो पंचायत मुख्यालय से करीब 3 किमी दूर स्थित है। यहाँ 65 परिवार रहते है जिनकी कुल जनसंख्या 257 है। पानी की गंभीर समस्या के कारण ग्रामीणों को निस्तारी के लिए काफी कठिनाई होती थी। जिसके लिए जल संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए तालाब गहरीकरण का कार्य कराया गया।

जल संरक्षण से बदली बैगा बाहुल्य ग्राम इन्द्रिपानी की तस्वीर

ग्रामीणो ने जल समस्या से निजात पाने के लिए ग्राम सभा में तालाब गहरीकरण करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जिसके बाद कार्य की स्वीकृति महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से की गई। कार्य स्वीकृति के बाद ग्रामीणों ने मिलकर तालाब गहरीकरण के कार्य समय-सीमा में पूर्ण किया। निर्माण कार्य में लगे ग्रामीणों को मजदूरी की राशि उनके बैंक खाते में प्राप्त हुई। महिला स्व सहायता समूह के लिए उन्हें मत्स्य पालन विभाग से मछली बीज उपलब्ध कराये गये। उल्लेखनीय है कि वनांचल ग्राम पंचायत दुर्जनपुर विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा बाहूल्य एवं दूर्गम पहाड़ी क्षेत्र में बसा है जहां वर्षा जल के संरक्षण में समस्या होता है। तालाब हेतु पर्याप्त जगह का चिन्हांकन बड़ी समस्या थी। जिसे सभी ग्रामीणों के प्रयास से हल किया गया एवं महात्मा गांधी नेरगा के मैदानी अमलो के सहयोग के कार्य का संपादन किया गया। वर्षा जल का बेवजह बह जाना ग्रामीणों के लिए बहुत बड़ी समस्या रही क्योंकि ग्रामीण कृषि के लिए वर्षा जल पर ही निर्भर थे। वर्षा जल पर निर्भरता के कारण बारहमासी फसल लेने में ग्रामीण असमर्थ थे।
कार्य का परिणाम

मनरेगा से निर्मित तालाब ने पानी की समस्या का समाधान कर खोले आजीविका के रास्ते

दुर्जनपुर में वर्षा जल संरक्षण के लिए यह तालाब गहरीकरण कार्य वरदान के रूप में सामने आया। जहां पहले वर्षा जल का बेवजह बह जाना ग्रामीणों के लिए बहुत बड़ी समस्या रही वही अब तालाब के बनने से समस्या खत्म हो गई है और पानी रुकने लगा। 9 लाख 80 हजार रुपए की लागत से हुए कार्य मे 5084 मानव दिवस का रोजगार ग्रामीणों को मिला जिसके लिए ग्रामीणों को 9 लाख 65 हजार 960 रुपए का मजदूरी भुगतान प्राप्त हुआ। जल संचय की समस्या से निजात पाने के बाद ग्रामीण अब तालाब से व्यवसाय भी करने लगे है। ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित बूढ़ी माई महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। मछली पालन से समूह की महिलाओं को आर्थिक लाभ हो रहा है। समूह को मत्स्य विभाग से समन्वय कर 28 किलो मछली बीज उपलब्ध कराया गया। मत्स्य पालन शुरू करने से अभी तक 23,000 की आय अर्जित हुआ है और यह लगातार जारी है। जिसके बाद समूह निरंतर मछली पालन का कार्य रहीं है। तालाब से मछलीपालन व सिंचाई का कार्य सुगम हो गया है। ग्राम पंचायत दुर्जनपुर के इन्द्रिपानी मोहल्ले में तालाब गहरीकरण और मत्स्य पालन ने गांव की तस्वीर बदल दी। अब यहां पानी की समस्या दूर हुई है, परिवारों को स्थायी आजीविका का साधन मिला और सामूहिक संगठनों की शक्ति बढ़ी है।
हितग्राहियों के मन की बात

मनरेगा से निर्मित तालाब ने पानी की समस्या का समाधान कर खोले आजीविका के रास्ते

ग्राम पंचायत दुर्जनपुर के इन्द्रिपानी मोहल्ले में तालाब गहरीकरण और मत्स्य पालन के पहल ने गांव की तस्वीर बदल दी। अब पानी की समस्या दूर हुई है, परिवारों को स्थायी आजीविका का साधन मिला है और सामूहिक संगठनों की शक्ति बढ़ी है। जिसने ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई। ग्राम के बैगा हितग्राही बताते है कि पहले बरसात के बाद हमारी जमीन खाली रहती थी, पानी बह जाने से खरिफ की फसले के अलावा रबि के फसल लेने मे असमर्थ थे। लेकिन तालाब निर्माण के बाद सिंचाई का साधन मिला है जिससे बारहमासी फसल लेने में समक्ष हो गये है।महिला समूह के सदस्य बताते है कि तालाब से मछली पालन करके हमें सालभर आय मिल रही है। समूह की महिलाओं की आमदनी बढ़ने से परिवार और बच्चों की जरूरतें आसानी से पूरी हो रही हैं। गांव के आस पास के अन्य ग्राम पंचायतों में जाकर मछली बेच रहे है जिससे आमदनी अधिक बढ़ी है।

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