भारत में राम-कृष्ण,बुद्ध की परंपरा ही रहेगी, बाबर-औरंगजेब की नहीं: योगी

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लखनऊ, विधानसभा में संभल हिंसा पर चर्चा कराये जाने की मांग पर अड़े विपक्षी दलों को जवाब देते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में राम-कृष्ण व बुद्ध की परंपरा ही रहेगी, बाबर और औरंगजेब की नहीं।
शीतकालीन सत्र में सोमवार को श्री योगी ने संभल, बहराइच, संविधान, सांप्रदायिक दंगों पर विपक्षी दलों पर प्रहार करते हुये कहा कि संभल में तुर्क व पठान का विवाद चल रहा है। शफीकुर्रहमान बर्क (सपा के पूर्व सांसद-अब स्मृतिशेष) खुद को भारत का नागरिक नहीं, बल्कि बाबर का संतान कहते थे। आपको तय करना है कि आक्रांताओं को अपना आदर्श मानते हैं या राम-कृष्ण, बुद्ध की परंपरा को। भारत में राम-कृष्ण व बुद्ध की परंपरा ही रहेगी, बाबर और औरंगजेब की परंपरा नहीं रहेगी।
उन्होने कहा कि मोहर्रम या कोई भी मुस्लिम त्योहार का जुलूस हिंदू मोहल्ले से, मंदिर के सामने से सुरक्षित निकल जाता है तो कोई समस्या नहीं होती। समस्या वहीं पर क्यों खड़ी होती है, जब कोई हिंदू शोभायात्रा किसी मस्जिद के सामने या मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से निकलती है। क्या भारत की धरती पर केसरिया झंडा नहीं लग सकता। पूछना चाहता हूं कि हिंदु मोहल्ले से और मंदिर के सामने से मुस्लिम जुलूस निकल सकता है तो मुस्लिम मोहल्ले से कोई शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती।
श्री योगी ने कहा कि जय श्री राम का नारा उत्तेजक नहीं है, ये हमारी श्रद्धा का नारा है। कल आपसे कहूं कि अल्लाह हो अकबर का स्लोगन हमें अच्छा नहीं लगता तो क्या आपको अच्छा लगेगा। यदि आपने बाबरनामा पढ़ा होता तो ये बहस करते ही नहीं। आपकी तो राजनीति बांटने और कटवाने की रही है। इसीलिए हमने कहा है कि न बटेंगे और न कटेंगे। मुख्यमंत्री ने एनसीआरबी डेटा के आंकड़ों के मुताबिक बताया कि 2017 से लेकर अब तक प्रदेश में सांप्रदायिक दंगों में 97 से 99 फीसदी तक की कमी आई है। 2017 से अब तक यूपी में दंगे नहीं हुए हैं, जबकि 2012 से 2017 (सपा कार्यकाल) तक प्रदेश में 815 सांप्रदायिक दंगे और 192 लोगों की मौत हुई। 2007 से 2011 के बीच 616 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, इसमें 121 लोगों की मौत हुई। संभल में 1947 से लगातार माहौल खराब किया गया । 1947 में एक मौत और 1948 में छह लोग मारे जाते हैं। 1958-1962 में दंगा, 1976 में पांच लोगों की मौत हुई थी। 1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था। अनवरत कई महीनों तक कर्फ्यू लगा। 1980-1982 में दंगा और एक-एक की मौत हुई। 1986 में चार लोग मारे गए।1990-1992 में पांच, 1996 में दो मौत हुई। लगातार यह सिलसिला चलता रहा। 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदुओं की हत्या हुई। 1978 के दंगे में वैश्य के हाथ, पैर, गला तक काट दिया गया। उन्होने सदन को आश्वस्त किया कि पत्थरबाजी व माहौल खराब करने वाला एक भी दंगाई बचने वाला नहीं है।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष से कहा कि बाबा साहब आंबेडकर के मूल संविधान की प्रस्तावना को पढ़ें और मौलिक अधिकारों को देखें। अलग-अलग पृष्ठों का अवलोकन करेंगे तो आपको उसमे राम-कृष्ण, बजरंग बली और बुद्ध भी नजर आएंगे। भारत की समृद्ध परंपरा का दर्शन आपको उसी संविधान में मिलेगा, लेकिन उस मूल संविधान में कहीं भी धर्मनिरपेक्ष, पंथनिरपेक्ष या समाजवाद शब्द नहीं है।
सपा पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा “ संभल में जैसे ही आपके खटाखट की असलियत सामने आई, जनता ने कहा सफाचट। उपचुनाव में नौ में से सात पर भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन जीता है। ‘चच्चू’ (शिवपाल) थोड़ी कृपा कर लिए, नहीं तो करहल व सीसामऊ भी सफाचट ही था। अगली बार यही होगा। कुंदरकी, कटेहरी, खैर, मझवा, गाजियाबाद, मीरापुर, फूलपुर की जीत भारत के संविधान की जीत है।

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