भाजपा की जीत के पीछे का असली नायक: हरियाणा में साइलेंट हीरो का जलवा

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हरियाणा में भाजपा की ऐतिहासिक तीसरी जीत के कई कारण हैं। इस जीत में भाजपा के दिग्गज नेताओं का योगदान है। पीएम मोदी की लोकप्रियता के साथ-साथ भगवा पार्टी के मुख्य रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी सहयोगी धर्मेंद्र प्रधान की रणनीति ने भाजपा की हैट्रिक में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर विरोधी को चित करने के लिए विभिन्न मोर्चों पर रणनीति बनाई। इससे पहले वह यह कमाल अपने गृह राज्य ओडिशा में कर चुके हैं।

हरियाणा चुनाव से पहले उन्हें 2017 में उत्तराखंड और 2022 में उत्तर प्रदेश चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्हें पश्चिम बंगाल में 2021 की लड़ाई का भी काम सौंपा गया था। यूं तो बंगाल में कई नेताओं का काम सौंपा गया था, लेकिन नंदीग्राम की जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान के पास थी। इस सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव हार गई थीं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि इन्हीं कारणों से हरियाणा में भी पार्टी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी। हरियाणा में भाजपा सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही थी। इसके अलावा, बागियों ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी थी। यहां भाजपा को जाट, किसान, अग्निवीर योजना से नाखुश सेना के उम्मीदवार, कांग्रेस के जोरदार प्रचार से हिले हुए पार्टी कार्यकर्ता और अंततः टिकट वितरण से नाखुश भाजपा के भीतर विद्रोहियों का सामना करना पड़ रहा था।

New Delhi: Union Minister and BJP leader Dharmendra Pradhan during an event where former BJD Rajya Sabha Member Sujeet Kumar joined BJP, in New Delhi, Friday, Sept. 6, 2024. The BJD on Friday expelled Kumar, who later quit his House membership, for anti-party activities. (PTI Photo/Atul Yadav)
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सूत्रों ने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान की योजना मौके पर डटे रहने से शुरू हुई। एक महीने से अधिक समय तक वह हरियाणा से हिले नहीं। उन्होंने रोहतक, कुरुक्षेत्र और पंचकूला में शिविर लगाए। उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बात सुनी और उनकी ओर से केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरा, कांग्रेस के प्रचार अभियान को रहस्यपूर्ण बनाया और उम्मीदवारों के चयन में मदद की।

एनडीटीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में भाजपा के एक नेता के हवाले से कहा, “वह जमीनी स्तर पर जाकर छोटी-छोटी बैठकें करते थे। कार्यकर्ताओं से वास्तविक समय पर फीडबैक लेते थे और नेतृत्व को सूचित कर कमियों को तुरंत दूर करते थे। उन्होंने हरियाणा में नाराज लोगों को शांत किया, कमजोर बूथों की पहचान की और अन्य दलों के मजबूत कार्यकर्ताओं को अपनाया।” उन्होंने उम्मीदवारों की सूची तैयार होने के बाद पैदा हुए तनाव को भी कम किया।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि नामांकन वापसी के समय तक पार्टी को करीब 25 बागियों में से केवल तीन से निपटना पड़ा। नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक नेता ने एनडीटीवी से कहा, “भाजपा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद एक समय ऐसा आया जब लगा कि भाजपा के बागी उम्मीदवार खेल बिगाड़ देंगे। दो दर्जन से अधिक बागी नेता चुनाव लड़ने पर आमादा थे। लेकिन यह धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम की सफलता थी कि नामांकन पत्र वापस लेने की तिथि नजदीक आने पर केवल तीन बागी ही बचे।”

उनके प्रयासों का अच्छा नतीजा निकला। भाजपा ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है और राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं।

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