जन विश्वास विधेयक के तहत छत्तीसगढ़ में छोटे अपराधों पर सजा की जगह जुर्माना, शराब पीने पर दोगुना दंड

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रायपुर : आम जनता को राहत देने और कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। आगामी विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य सरकार ‘छत्तीसगढ़ जन विश्वास विधेयक’ पेश करेगी, जिसे मंत्रिमंडल की मंजूरी भी मिल चुकी है। इस विधेयक के तहत कई पुराने कानूनों में संशोधन किए जाएंगे ताकि छोटे-मोटे अपराधों पर सजा की जगह सिर्फ जुर्माना लगाया जा सके।

अवैध निर्माण पर अब सजा नहीं, सिर्फ जुर्माना

वर्तमान में नगर और ग्राम निवेश अधिनियम के तहत अवैध निर्माण (जैसे घर, दुकान या कॉम्प्लेक्स) पर तीन माह की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। नए विधेयक में केवल 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।

धारा 69 (4) के तहत अब पांच हजार की जगह 25 हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं, निजी शौचालय न बनाने पर तीन माह की सजा और जुर्माने के बजाय अब 25 हजार रुपये का जुर्माना ही लगेगा।

सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने पर दोगुना जुर्माना

छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 में भी बदलाव होगा। अब स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने पर 2 हजार की बजाय 5 हजार रुपये जुर्माना लगेगा।
बिना लाइसेंस शराब बेचने या स्थान खोलने पर पहली बार 5 हजार रुपये से शुरू होकर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
नशे से जुड़ी खेती, भंडारण या निर्माण पर 10 से 25 हजार रुपये जुर्माना और 3 महीने की सजा का प्रावधान होगा।

औद्योगिक विवादों से जुड़े मामलों में भी नरमी

औद्योगिक संबंध अधिनियम की धाराओं में भी संशोधन प्रस्तावित है। अब विवाद संबंधित मामलों में अधिकतम जुर्माने की 50% राशि जमा करने पर केस समाप्त हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति जिम्मेदार अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करता है, तो 20% अतिरिक्त जुर्माने की वसूली होगी।

समिति और मूल्यांकन के आधार पर सेवा विस्तार

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि संविदा कर्मियों के सेवा विस्तार का निर्णय अब केवल गोपनीय प्रतिवेदन (A+ और A ग्रेड) के आधार पर होगा। इससे नीचे के मूल्यांकन वालों को सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।

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