परकोलेशन टैंक किसानों के लिए वरदान: बढ़ा जलस्तर, बढ़ी फसल, बढ़ी आय
रायपुर, जनपद पंचायत सोनहत के अंतर्गत स्थित अकलासरई गांव वर्षों से पानी की गंभीर समस्या से जूझता रहा है। ऊंचाई पर बसे इस गांव में वर्षा जल का संचित न हो पाना और लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण ग्रामीण विशेषकर किसान केवल एक ही फसल पर निर्भर थे। खेती का दायरा छोटा होने से परिवार की आय भी सीमित रह जाती थी।

इस कठिनाई को दूर करने के लिए ग्राम पंचायत अकलासरई ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए सोनकुंवर भूमि पर परकोलेशन टैंक निर्माण का निर्णय लिया। लक्ष्य था-वर्षा जल को संरक्षित कर भूमि में रिसाव बढ़ाना और आसपास की सिंचाई जरूरतों को पूरा करना। जल संग्रह के लिए उचित स्थान चयन सबसे बड़ी चुनौती थी, ताकि कम आवक की स्थिति में भी पानी प्रभावी रूप से संरक्षित रह सके।

परियोजना को सफल बनाने में रोजगार सहायक की भूमिका अहम रही। उन्होंने ग्रामीणों को परकोलेशन टैंक के लाभ, जल संरक्षण के महत्व और इसके दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। लगभग दो लाख रुपये की स्वीकृत राशि से यह टैंक बनकर तैयार हुआ और अब गांव में उम्मीद की नई धारा बही है।
परकोलेशन टैंक से बदली सोनकुंवर की तस्वीर
टैंक के निर्माण के बाद गांव के जलस्तर में स्पष्ट सुधार देखा गया है। मिट्टी की नमी बढ़ने से खेत उत्पादक हो गए हैं। सोनकुंवर के परिवार को पहली बार घरेलू उपयोग के लिए भी पर्याप्त पानी मिलना शुरू हुआ है। पहले वे केवल एक एकड़ में ही धान ले पाते थे, लेकिन इस वर्ष सिंचाई सुविधा बढ़ने से उन्होंने धान की खेती लगभग दो एकड़ में की। इसके बाद वे रबी फसलों-आलू, अरहर, गोभी और सरसों की खेती भी कर रहे हैं, जिनसे अच्छे उत्पादन की उम्मीद है।
गांव के किसानों के लिए प्रेरक उदाहरण
सोनकुंवर के खेत में आए इस बदलाव का प्रभाव आसपास के किसानों पर भी पड़ा है। बढ़ते जलस्तर और उपलब्ध नमी से अन्य कृषकों की पैदावार में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है।
