महासमुंद। जिले में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाए गए हैं। इस पहल के अंतर्गत विशेष रूप से उन शालाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया जो या तो शिक्षक विहीन थीं या एकल शिक्षकीय व्यवस्था पर निर्भर थीं। युक्तियुक्तकरण के प्रभावी क्रियान्वयन से अब इन शालाओं में नियमित शिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी तथा विद्यालयों की शैक्षिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार होगा।
युक्तियुक्तकरण से पूर्व जिले में कुल 287 प्राथमिक शालाएं ऐसी थीं, जो या तो पूरी तरह शिक्षक विहीन थीं अथवा केवल एक शिक्षक कार्यरत था। इसके अतिरिक्त एक पूर्व माध्यमिक शाला एवं तीन हाई स्कूल भी ऐसे थे, जहां शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या बनी हुई थी। परंतु युक्तियुक्तकरण के तहत समुचित पुनर्गठन एवं पदस्थापन के माध्यम से अब जिले में कोई भी शिक्षक विहीन अथवा एकल शिक्षकीय शाला शेष नहीं है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि“शिक्षा विभाग द्वारा जिले के प्रत्येक शाला में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया गया है। अब जिले की कोई भी शाला शिक्षक विहीन नहीं है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आएगा। “मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश में सुशासन के अंतर्गत प्रारंभ की गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया ने विद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में नवचेतना का संचार किया है। लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन विद्यालयों में अब नवीन शिक्षकों की पदस्थापना से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की आशा जगी है, बल्कि इससे विद्यार्थियों, अभिभावकों, ग्रामीण जनों तथा विद्यालय प्रबंधन समितियों में उत्साह और संतोष का वातावरण निर्मित हुआ है।
उल्लेखनीय है कलेक्टर विनय कुमार लंगेह की मौजूदगी में 01 एवं 02 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण तरीके से पूर्ण किया गया था। सभी शिक्षकों को पदस्थापना आदेश दे दिया गया था। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सहायक शिक्षक के 399, प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के 12, सहायक शिक्षक विज्ञान के 08, शिक्षक के 127, प्रधान पाठक मिडिल स्कूल 01, व्याख्याता के 82 रिक्त स्थानों पर पदभार ग्रहण कर लिया गया है।
