जुए के अड्डे पर पुलिस की रेड: ‘छोटू’ फरार, पुलिस ने किए कई गिरफ्तार

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रायपुर। राजधानी रायपुर के गोबरा नवापारा क्षेत्र में 24-25 जून की रात पुलिस ने एक सघन, योजनाबद्ध और गोपनीय ऑपरेशन चलाया। लक्ष्य था – कुख्यात जुआ संचालक छोटू भंडुलकर के साम्राज्य को ध्वस्त करना। लेकिन जब पुलिस पहुंची, छोटू अपने अड्डे से फरार हो चुका था। सवाल उठता है – इतनी कड़ी सुरक्षा और योजनाबद्ध कार्रवाई के बावजूद उसे भनक कैसे लग गई?

ऑपरेशन की बड़ी बातें:

तीस अधिकारियों की टीम, बाइक से इलाके में दाखिल हुई।

प्रवेश और निकासी के सभी रास्ते सील किए गए। नेतृत्व में थे IPS अमन झा, ASP संदीप मित्तल, ASP शुक्ला, CSP नया रायपुर, DSP संजय सिंह, ACCU इंस्पेक्टर परेश पांडे।

लेकिन लक्ष्य – छोटू भंडुलकर पहले ही निकल चुका था।

छोटू का किला और उसका तंत्र: गोबरा नवापारा में छोटू का साम्राज्य किसी किले से कम नहीं। करीब 10 वर्ग किलोमीटर का इलाका, जिसमें 30-40 हथियारबंद लड़के तैनात रहते हैं। पिस्तौल और चाकुओं से लैस ये लोग हर बाहरी हलचल पर नजर रखते हैं।

लीक कैसे हुआ ऑपरेशन?

सूत्रों के मुताबिक छोटू को छापे की खबर कुछ मिनट पहले ही मिल गई थी – और वह भी किसी बाहरी व्यक्ति से नहीं, बल्कि ऑपरेशन टीम में शामिल किसी अंदरूनी शख्स से। ACCU के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि कुछ पुलिसकर्मी अब डिजिटल फोरेंसिक जांच के घेरे में हैं – कॉल रिकॉर्ड, एन्क्रिप्टेड चैट्स, और गतिविधियों की समीक्षा जारी है। हालांकि अभी तक किसी को निलंबित नहीं किया गया है।

पुलिस को हाथ क्या लगा?

कुछ छूटी हुई बाइकें 5 घायल पुलिसकर्मी कोई गिरफ्तारी नहीं, कोई जब्ती नहीं

छोटू भंडुलकर का प्रोफाइल:

निवासी: गोबरा नवापारा (अतिक्रमित सरकारी ज़मीन) संपत्ति: फॉर्च्यूनर, थार, स्विफ्ट जैसी गाड़ियाँ ऑपरेशन: गरियाबंद और धमतरी में भी फैला हुआ जुआ रैकेट सुरक्षा: 30-40 सशस्त्र युवक नियमित सैलरी पर पुलिस महकमे के लिए गंभीर सवाल: क्या ACCU में भीतर से हो रहा है विश्वासघात? अगर ऑपरेशन इतना गोपनीय था, फिर लीक कैसे हुआ?

क्या छोटू को ‘सुरक्षित’ रखने की कीमत कोई अधिकारी चुका रहा है?

यह केवल एक नाकाम छापा नहीं था। यह उस गंभीर सड़न की झलक है जो कानून व्यवस्था को अंदर से खोखला कर रही है। रायपुर पुलिस अब इस मिशन की विफलता से सबक लेकर आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। लेकिन जनता जानना चाहती है – क्या इस बार भी छोटू जैसे अपराधियों को वर्दीधारी संरक्षण मिलेगा या सचमुच कोई कार्रवाई होगी? छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाहरी इलाके गोबरा नवापारा में एक कुख्यात जुआ संचालक छोटू भांडुलकर को पकड़ने के लिए चली सर्जिकल रेड न केवल नाकाम रही, बल्कि अब यह प्रदेश पुलिस के भीतर की सबसे बड़ी गोपनीय जांच में बदल चुकी है।

ऑपरेशन ‘छोटू’ का प्लान 24 और 25 जून की रात को रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देश पर ACCU की 30 सदस्यीय विशेष टीम को बाइक से रवाना किया गया। प्लान सीधा और सटीक था—छोटू के जुए के अड्डे को चारों ओर से घेरकर अचानक कार्रवाई करना। तीन रास्तों से इलाके की घेराबंदी की गई, प्रवेश और निकास दोनों मार्ग सील किए गए। छापा तेज़ी से और गोपनीयता के साथ मारा गया… लेकिन छोटू पहले ही अड्डा खाली कर भाग चुका था। 🔍 सवाल: जानकारी लीक किसने की? इस बेहद गोपनीय ऑपरेशन में छोटू को कुछ मिनट पहले ही भनक कैसे लग गई? सूत्रों का कहना है कि पुलिस महकमे के ही किसी व्यक्ति ने यह सूचना लीक की। ACCU के भीतर कुछ अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका को लेकर अब डिजिटल फॉरेंसिक जांच शुरू हो गई है। कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR), मोबाइल लोकेशन, टॉवर पिंग और एन्क्रिप्टेड चैट्स की गहन निगरानी हो रही है। 💬 सूत्रों के हवाले से… “सभी नहीं, लेकिन रेड में शामिल कई अधिकारी, खासकर ACCU यूनिट के कुछ जवान अब संदिग्ध घेरे में हैं। किसी ने छोटू को रेड से पहले ही अलर्ट कर दिया।” 🧠 छोटू का साम्राज्य: कोई मामूली सट्टेबाज नहीं छोटू भांडुलकर का नेटवर्क सिर्फ ऑनलाइन सट्टे तक सीमित नहीं है। वह 30-40 हथियारबंद युवकों की टीम चलाता है। हथियारों में चाकू, पिस्तौल, वॉकी-टॉकी तक शामिल हैं। गरियाबंद, धमतरी समेत कई जिलों में जुए के नेटवर्क फैले हैं। पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, छोटू सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे में रहकर पूरे इलाके में अपना आतंक फैलाता है। 📲 क्या-क्या जांच के दायरे में: रेड ऑपरेशन से पहले किसने कॉल की? कौन-कौन से मोबाइल नंबर उस समय एक्टिव थे? GPS ट्रैकर में कौन अधिकारी किस जगह मौजूद था? जिन्होंने ऑपरेशन का नेतृत्व किया, उनके भीतर कौन ‘वर्दीधारी मुखबिर’?

 

 

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