अगर आपको लगता है कि कम नींद लेने या खराब नींद का असर सिर्फ आपके रोजाना के रूटीन पर देखने को मिलता है तो आप गलत हैं। हाल ही में न्यूरोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट ने इस आदत को दिल और दिमाग की सेहत के लिए बड़ा खतरा बताया है। अकसर लोग काम से लौटने के बाद फुर्सत के इन पलों में देर रात फिल्में देखना, गपशप करना, फोन पर लंबी-लंबी बातें या अपना फेवरेट शो देखने के लिए रात का समय ही पसंद करते हैं। ऐसा करते हुए शायद आप भूल जाते हैं कि इसका बुरा असर सीधा आपकी नींद पर पड़ता है। नींद अच्छे स्वास्थ्य के प्रमुख स्तंभों में से एक है। इसमें कटौती करने से न केवल आपको सुबह सुस्ती महसूस होती है, बल्कि यह आपके मस्तिष्क और हृदय जैसे प्रमुख अंगों को भी प्रभावित करता है।
क्या कहते हैं न्यूरोलॉजिस्ट
एचटी लाइफस्टाइल को दिए अपने एक इंटरव्यू में सर्वोदय अस्पताल की न्यूरोलॉजी की निदेशक और एचओडी डॉ. ऋतु झा कहती हैं कि अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता है, तो उसका सीधा असर उसकी याददाश्त पर पड़ सकता है। जिससे उसकी जानकारी को इकट्ठा करने और उसे बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ऋतु झा कहती हैं कि जो लोग बिना आराम किए लंबे समय तक काम करते रहते हैं उनके मस्तिष्क के न्यूरॉन्स जानकारी को प्रभावी ढंग से व्यवस्थित नहीं कर पाते हैं और पहले से सीखी हुई चीजों को भी भूल जाते हैं। जिससे याददाश्त कम होने का खतरा बढ़ जाता है और उम्र बढ़ने के साथ संज्ञानात्मक गिरावट भी बढ़ सकती है। चिंता की बात यह है कि संज्ञानात्मक गिरावट की चिंता सिर्फ वृद्ध लोगों तक ही सीमित नहीं है। खराब नींद संज्ञानात्मक समस्याओं को बहुत पहले ही जन्म दे सकती है। 40 और 50 की उम्र में अपर्याप्त नींद दशकों बाद मनोभ्रंश के बीज बो सकती है।
क्या कहते हैं कार्डियोलॉजिस्ट
सीके बिड़ला हॉस्पिटल के कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी विभाग डॉ. संजीवा कुमार गुप्ता कहते हैं कि अच्छी नींद सिर्फ आराम नहीं है बल्कि यह सेहतमंद रहने के लिए एक जरूरी प्रक्रिया भी है। डॉ. संजीवा कुमार गुप्ता कहते हैं कि नींद सिर्फ सोने या आराम करने का वक्त नहीं है, बल्कि ये एक जरूरी जैविक प्रक्रिया (biological process) है जो दिल और दिमाग को रिचार्ज करती है। अगर नींद ठीक से न ली जाए या पूरी न हो, तो इसका असर सीधे हार्ट और ब्रेन पर पड़ता है। लंबे समय तक कम नींद से हाई ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कनों में गड़बड़ी (arrhythmia), स्ट्रोक और याददाश्त कमजोर होने जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
अच्छी नींद लेने से दिल को मिलता है आराम
गहरी नींद के दौरान ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट दोनों कम हो जाते हैं, जिससे दिल को दिनभर के तनाव से राहत मिलती है। लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर का सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम (fight or flight response) लगातार एक्टिव रहता है। इसका मतलब है कि शरीर हमेशा ‘चिंता या सतर्कता’ की स्थिति में बना रहता है। नतीजतन, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, नसें सख्त होती हैं और दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
मेटाबॉलिक असर-वजन और शुगर पर भी दिखता है असर
कम नींद शरीर की ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (शुगर प्रोसेसिंग) को बिगाड़ देती है। इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस, मोटापा, और शुगर लेवल बढ़ना (डायबिटीज) जैसी दिक्कतें होती हैं। ये सब मिलकर दिल की बीमारियों के लिए जमीन तैयार करते हैं क्योंकि इनसे धमनियों में प्लाक जमा होना (atherosclerosis) तेजी से बढ़ता है।
दिमाग पर नींद की कमी का असर
रिसर्च बताती है कि जो लोग रोज 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें ध्यान, याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है। नींद के दौरान दिमाग बीटा-एमिलॉयड जैसे टॉक्सिन्स को साफ करता है। नींद की कमी से ये जमा होने लगते हैं, जो अल्जाइमर जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।
मूड और मानसिक तनाव पर असर
नींद की गड़बड़ी से मूड बदलना, चिड़चिड़ापन, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ये मानसिक तनाव भी धीरे-धीरे दिल पर असर डालता है। स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) जैसी समस्या, जिसमें नींद के दौरान सांस रुक-रुक कर चलती है, दिल पर सीधा दबाव डालती है और ब्लड प्रेशर बढ़ा देती है।
क्या हैं उपाय
-नींद को प्राथमिकता दें
-रोजाना 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है।
-एक तय समय पर सोएं और उठें, कैफीन या मोबाइल स्क्रीन से दूर रहें।
-ये छोटी-छोटी आदतें दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
अच्छी नींद लेना कोई विलासिता नहीं, बल्कि दिल और दिमाग की सुरक्षा का सबसे आसान तरीका है। नींद जितनी गहरी और नियमित होगी, उतना ही कम लाइफस्टाइल डिजीज और स्ट्रोक का खतरा होगा।
