रायपुर : भारतमाला परियोजना की सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के निर्धारण में रायपुर के अभनपुर क्षेत्र में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जिले में भी परियोजना के निर्माणाधीन दुर्ग-अभनपुर सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण और मुआवजे की गणना में इसी तरह की गड़बड़ी की शिकायतें हैं। किसानों ने अलग-अलग फोरम में इसकी शिकायतें भी दर्ज कराई है, लेकिन छह साल बाद भी इनका निराकरण नहीं हो पाया है। किसानों ने प्रकरण की गंभीरता से जांच कराने की मांग की है।
आवेदनों पर कोई भी कार्रवाई नहीं
बता दें कि केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के लिए जिले के दुर्ग व पाटन ब्लॉक के 26 गांवों में 1349 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। अधिग्रहित जमीन पर सड़क का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है। किसान अपनी शिकायत नेशनल हाइवे और जिला प्रशासन के अफसरों के पास आवेदनों के साथ न्यायालय में भी याचिका तक लगा चुके हैं। न्यायालय में मामला विचाराधीन है, वहीं अफसर आवेदनों पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
750 के गुणांक में गड़बड़ी
मुआवजे की गणना शासन के गाइडलाइन के मुताबिक जमीन के बाजार मूल्य के दोगुने मुआवजा और इतने ही सेलेसियम के साथ अवार्ड पारित करना था। किसानों की मानें तो दुर्ग ब्लॉक में 750 किसानों के जमीन की गणना एक गुणांक और इतने ही सेलेसियम से कर दिया गया है।
ऐसे भी किया नजरअंदाज
परिसंपत्तियों के मूल्यांकन को भी लेकर शिकायत है। बताया जाता है कि अधिकारियों ने कई किसानों के खेतों के परिसंपत्तियों पेड़, नलकूप, फेंसिंग, मकान आदि का मूल्यांकन छोड़ दिया है अथवा इसके एवज में बेहद कम राशि दर्ज कर दी गई है। इससे संबंधित करीब 300 आपत्तियां भू-अर्जन अधिकारियों के पास लंबित है।
वर्गफीट की जगह हेक्टेयर में गणना
सड़क से 20 मीटर की दूरी तक की जमीन वर्गफीट में मानकर मुआवजे की गणना होनी चाहिए। इसके अलावा 500 वर्गमीटर से कम के छोटे प्लांट की भी गणना वर्गफीट में किया जाना चाहिए, लेकिन यहां अफसरों ने 1000, 1500 और 2000 वर्गफीट की जमीन के मुआवजे की गणना भी हेक्टेयर में कर दी है। ऐसे करीब 100 मामले हैंं।
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सड़क की जमीन
भू-अधिग्रहण अधिनियम के मुताबिक किसी भी मार्ग से 20 मीटर अंदर तक की जमीन को सड़क की जमीन माना जाता है। इसके लिए गाइडलाइन में अतिरिक्त दर का प्रावधान होता है, लेकिन मूल्यांकन के दौरान अधिकारियों पर इसकी अनदेखी कर दी और अधिकतर जमीन को सिंचित बताकर मूल्यांकन कर देने का आरोप है। इससे किसानों का मुआवजा कम हो गया।
सिंचित को बताया असिंचित
मुआवजे निर्धारण में कई किसानों के सिंचित को असिंचित, सड़क को असिंचित बता देने जैसी त्रुटियों की शिकायत है। जबकि 20 मीटर तक दूरी को सड़क की जमीन मानकर मुआवजा तय किया जाना चाहिए। वहीं पटवारी प्रपत्र में सिंचित जमीन की मुआवजा असिंचित से कही ज्यादा है।
200 से ज्यादा मामले न्यायालय में
पहले फेज में विवादों के कारण करीब 210 मामले हाईकोर्ट में लंबित है। किसानों ने अधिग्रहण और मुआवजे की गणना की फिर से परीक्षण की मांग को लेकर अलग-अलग याचिका लगाई है। मामले में सुनवाई चल रही है।
वर्जन
जे.के. वर्मा, प्रभावित किसान व अधिवक्ता: भूमि-अधिग्रहण से लेकर मुआवजा की गणना में व्यापक गड़बड़ी की गई है। इससे भू-स्वामियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। मामले की गंभीरता से जांच की गई तो, कई और गड़बडिय़ां सामने आएंगी।
हरवंश मिरी, एसडीएम दुर्ग: भू-अर्जन और मुआवजा को लेकर किसानों की अलग-अलग शिकायतें है। इनका निराकरण कराया जा रहा है। अवार्ड पारित होने के बाद मुआवजा के मामलों में आर्बिटेशन का प्रावधान है। इसी के तहत कई लोगों ने न्यायालय में मामला लगाया है।
