खूंटी और लोहरदगा सीट से कांग्रेस भाजपा को टक्कर दे सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों सीटों पर भाजपा से कांग्रेस के प्रत्याशी कम अंतर से हारे थे। खूंटी में जहां हार का अंतर 1500 से भी कम का था, वहीं लोहरदगा में करीब 10 हजार था।
2009 से लगातार त्रिकोणीय मुकाबला हार-जीत का फैसला कर रही है। खूंटी और लोहरदगा में भाजपा ने लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। खूंटी से जहां अर्जुन मुंडा को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं लोहरदगा में पार्टी ने सांसद सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव को टिकट दिया है। मुख्य विपक्ष कांग्रेस या दूसरे गठबंधन ने अपने पत्ता नहीं खोला है। खूंटी में भाजपा 2009 से लगातार जीतती आ रही है। त्रिकोणीय मुकाबला होने से भाजपा को इस सीट से फायदा मिलता दिख रहा है।
हर बार झारखंड पार्टी त्रिकोणीय मुकाबले में नजर आ रही है। 2009 में तीसरे, 2014 में दूसरे स्थान पर झारखंड पार्टी के प्रत्याशी रहे थे। 2019 में वे पांचवें स्थान पर रहे। इस चुनाव में भाजपा के अर्जुन मुंडा से कांग्रेस के कालीचरण मुंडा 1400 वोटों से हारे थे। तीसरे स्थान पर नोटा था, जिसमें 21,245 वोट पड़े थे। तीनों चुनावों में अगर कांग्रेस-झापा के मतों को जोड़ा जाए तो भाजपा प्रत्याशी से ज्यादा होता है। ऐसे में खूंटी में 2024 की राह भाजपा के लिए आसान नहीं दिख रही है।
लोहरदगा में फिर भाजपा, कांग्रेस व चमरा लिंडा का त्रिकोणीय मुकाबला लोहरदगा का भी हाल खूंटी से जुदा नहीं है। लोहरदगा में 2009 से लगातार भाजपा जीत रही है, लेकिन यहां भी भाजपा-कांग्रेस के बीच कभी निर्दलीय तो कभी दूसरे दल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता दिखता रहा है। 2009 में 8,283 मतों से सुदर्शन भगत निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा से जीते थे। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव जीते उम्मीदवार से 15 हजार से कम वोट पाये थे। 2014 में भी सुदर्शन भगत कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव से 6489 मतों से जीते थे। तीसरे स्थान पर चमरा लिंडा रहे थे, जो 1.18 लाख से ज्यादा वोट लाए थे।
इस बार फिर चमरा लिंडा ठोक रहे हैं ताल
2019 में कांग्रेस ने सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया, लेकिन सुदर्शन भगत ने जीत की हैट्रिक बनाते हुए 10,363 मतों से जीत दर्ज की। झापा प्रत्याशी ने करीब 20 हजार और निर्दलीय ने 10 हजार से ज्यादा वोट लाए। इस बार लोहरदगा में फिर से कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा चमरा लिंडा ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में फिर से त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है।
