विभाग ने फैक्ट्री के भीतर साफ-सफाई, पानी बनाने की प्रक्रिया सहित अन्य व्यवस्थाओं की जांच की। साथ ही पानी का सैंपल भी कलेक्ट किया गया जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। जिस स्थान से सीलबंद बोतल में कीड़ा मिलने की शिकायत मिली थी वहां भी टीम जांच करेगी। इस मामले में फैक्ट्री संचालक का कहना है कि जिस बोतल में कीड़ा मिला है वह उनके द्वारा सप्लाई नहीं की गई थी। ऐसे में जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर बंद बोतल के भीतर कीड़ा किस तरह से पहुंचा।
गौरतलब है कि तुलसी ब्रांड का पानी केवल दुर्ग जिले में ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों में भी सप्लाई किया जाता है। ऐसे में बोतलबंद पानी में कीड़ा मिलने की घटना जनता के स्वास्थ्य के साथ बड़ी लापरवाही मानी जा सकती है।
