छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर ठप पड़ने वाली है, क्योंकि प्रदेशभर के 146 विकासखंडों में 1.80 लाख शिक्षक हड़ताल पर जा रहे हैं। अपनी प्रमुख मांगों को लेकर यह शिक्षक स्कूलों की बजाय सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
शिक्षकों की प्रमुख मांगें
शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ के प्रदेश संचालकों संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत और जाकेश साहू ने बताया कि शिक्षकों की प्रमुख मांगें हैं:
- क्रमोन्नति वेतनमान (Promotion Pay Scale) की सुविधा सभी पात्र शिक्षकों को दी जाए, जैसा कि सूरजपुर की शिक्षिका सोना साहू को न्यायालय के आदेश पर दिया गया है।
- एरियर्स राशि का भुगतान सभी पात्र शिक्षकों को हो।
- सेवा गणना प्रथम नियुक्ति तिथि से की जाए, न कि 2018 की संविलियन तिथि से।
- पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
- डीएड शिक्षकों को भी पदोन्नति में शामिल किया जाए।
- 2008 के सेटअप को पुनः लागू किया जाए और युक्तियुक्तिकरण (Rationalization) को रद्द किया जाए।
आर्थिक नुकसान और प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप
प्रदेश संचालकों कृष्णकुमार नवरंग और राजनारायण द्विवेदी ने बताया कि शासन द्वारा जनरल ऑर्डर जारी न किए जाने से प्रदेश के 1 लाख से अधिक शिक्षक प्रभावित हैं और उन्हें हर माह 15 से 20 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
शिक्षक संगठनों का एक मंच पर आना
इस बार प्रदेश के 23 शिक्षक संगठन एक मंच पर आए हैं और “शिक्षक साझा मंच” के नाम से एकजुट होकर यह आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले 15 से 30 जून तक शिक्षक काली पट्टी लगाकर विरोध दर्ज करा चुके हैं।
स्कूलों में 57,000 पदों की कटौती पर भी विरोध
शिक्षक नेताओं ने कहा कि युक्तियुक्तिकरण के नाम पर प्रदेशभर में लगभग 57,000 शिक्षकों के पद खत्म कर दिए गए हैं, जिससे प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूल तक की व्यवस्था चरमरा गई है।
आंदोलन अनिश्चितकालीन हो सकता है
शिक्षक साझा मंच के संयोजक मंडल ने सरकार को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो प्रदेशभर के सभी स्कूलों में तालाबंदी कर दी जाएगी और शिक्षक अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाएंगे। इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
संयोजक मंडल के प्रमुख सदस्य:
संजय शर्मा, मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे और अनिल कुमार टोप्पो।
