दुर्ग। जिले के जेवरा सिरसा उपार्जन केंद्र में इस वर्ष धान खरीदी सुचारू रूप से जारी है। केंद्र में किसानों के धान की निरंतर खरीदी और उठाव किया जा रहा है। 2 दिसंबर से अब तक लगभग 10 हजार क्विंटल धान का उठाव पूरा कर लिया गया है। किसानों का कहना है कि इस बार व्यवस्था बेहतर है और सभी प्रकार के धान का समय पर उठाव हो रहा है, जिससे उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसी क्रम में सिरसा खुर्द गांव के 53 वर्षीय किसान बिहारी राम साहू अपने 125 कट्टा मोटा धान लेकर उपार्जन केंद्र पहुंचे।
केंद्र में बारदाना भरने, तौलाई, सिलाई और धान को क्वालिटी के अनुसार स्टैक में व्यवस्थित रखने का काम तेजी से चल रहा था। कर्मचारी लगातार सक्रिय थे और हर किसान के धान की जांच व तौल सुचारू रूप से कर रहे थे। इसी दौरान बिहारी राम के धान की तौल जारी थी और उनके चेहरे पर संतोष और उम्मीद की झलक साफ दिखाई दे रही थी। बिहारी राम ने इस वर्ष लगभग सवा दो एकड़ जमीन में धान की खेती की है। उनका कहना है कि खेती ही उनके परिवार का मुख्य सहारा है और हर साल धान की बिक्री से मिलने वाली रकम से ही घर की जरूरतें पूरी होती हैं।
इस बार उनकी खुशी का एक बड़ा कारण था ऑनलाइन टोकन सिस्टम। उन्होंने बताया कि वे खुद मोबाइल ठीक से नहीं चला पाते, लेकिन उनकी पढ़ी-लिखी बेटियों ने मोबाइल ऐप से पहला टोकन हासिल किया। बिहारी राम ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तो ठीक से मोबाइल भी नहीं चला पाता, लेकिन बेटियों ने कहा कि अब सब ऑनलाइन होता है। उन्होंने ही मेरा टोकन निकाला और आज देखो मैं समय पर यहां खड़ा हूँ।” उन्होंने बताया कि परिवार की सारी उम्मीदें हर साल तैयार होने वाले धान पर टिकी होती हैं। बोरी-बोरी में भरा यह अनाज सिर्फ भोजन का साधन नहीं, बल्कि पूरे साल की आर्थिक जिम्मेदारियों का आधार होता है।
इस वर्ष धान बिक्री से उन्हें मिलने वाली राशि उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण उद्देश्य को पूरा करेगी। बिहारी राम ने भावुक होकर कहा कि वह अपनी बेटियों की शादी इसी धान की कमाई से करेंगे। उन्होंने बताया कि बेटियों की शादी उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और इस धान से मिलने वाली रकम उनके लिए खुशियों का रास्ता खोलती है। केंद्र के अन्य किसानों ने भी इस वर्ष की व्यवस्था की सराहना की और बताया कि 21 क्विंटल प्रति एकड़ की खरीदी से उन्हें राहत मिली है। धान उठाव की रफ्तार भी बेहतर है, जिससे प्रतीक्षा समय कम हुआ है। बिहारी राम जैसे अनेक किसान हर साल अपनी मेहनत का फल इसी धान खरीदी से पाते हैं। यह सिर्फ फसल नहीं, बल्कि उनकी आशाओं, सपनों और आने वाले कल की उम्मीदों का बोझ उठाए रहती है।
