पर्यावरण संकट: तालाबों को फ्लाई ऐश से पाटने का खेल, विभाग की भूमिका पर सवाल

प्रादेशिक मुख्य समाचार

खरसिया :- रायगढ़ जिला फ्लाई ऐश की अवैध डंपिंग को लेकर लगातार सुर्खियों में रहता है। मनमाने तरीके से कहीं भी फ्लाई ऐश डंपिंग के मामले आम हो चले हैं। सोशल मीडिया पर खबरें आती हैं, कुछ दिनों तक कार्रवाई का दिखावा होता है और फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अधिकारी कागजों पर कार्रवाई कर खुद को जिम्मेदार साबित कर लेते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस बनी रहती है।

पहले एनएच-49 किनारे खेतों में फ्लाई ऐश फेंका जा रहा था। जब जनप्रतिनिधियों ने आवाज उठाई तो अब यह अवैध डंपिंग घने जंगलों और आबादी के नजदीकी तालाबों तक पहुंच गई है। ग्राम पूछियापाली के तालाब में ट्रकों से लगातार फ्लाई ऐश गिराया जा रहा है। इन तालाबों पर गांव का जलस्तर, मवेशी, जीव-जंतु, पक्षी और वन्यजीव निर्भर हैं। लेकिन पर्यावरण विभाग को इससे कोई सरोकार नहीं दिखता।

पर्यावरण संरक्षण के लिए गठित विभाग अब उद्योगपतियों की सेवा में ही जुटा नजर आ रहा है। तालाबों में हो रही फ्लाई ऐश डंपिंग से जहां आसपास की खेती किसानी प्रभावित होगी, वहीं हजारों जीव-जंतु और गांव का जलस्तर भी गंभीर संकट में पड़ जाएगा। हैरानी की बात है कि ग्रामीणों को इसकी भनक तक नहीं है और वे अपनी रोजमर्रा की खेती किसानी में व्यस्त हैं।

जब इस मामले पर जिला पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू से बात करने की कोशिश की गई तो कई बार फोन करने के बावजूद न तो कॉल रिसीव किया गया और न ही वापस कॉल आया। विभाग की यह चुप्पी और उदासीनता यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर पर्यावरण संरक्षण के लिए बने अधिकारी अब पर्यावरण को बचाने की बजाय उसे खत्म करने की राह पर क्यों हैं?

अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में इसका गंभीर असर न केवल गांवों के जलस्तर पर पड़ेगा बल्कि वन्यजीवों और आम लोगों को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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