रायपुर, छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसे गिन रहा है। अधिकारियों के मुताबिक बीते डेढ़ साल में 453 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है। 1602 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, तो वही 1591 को गिरफ्तार किया गया है। इन आंकड़ों का हिसाब गुणा-भाग करके लगाएं, तो मालुम चलता है कि लगभग हर रोज छह नकस्लियों को पकड़ा गया है। वहीं एक से ज्यादा नक्सली को मुठभेड़ में मौत के घाट उतारा गया है।सुरक्षाबलों ने माओवादियों की केंद्रीय समिति के महासचिव बसवराजू को मार गिराने में भी सफलता पाई है।
सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कर बस्तर को शांति और प्रगति की भूमि बनाना है। इस सिलसिले में ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। सरेंडर करने वालों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने देश की सबसे बेहतर पुनर्वास नीति लागू की है। इसमें तीन सालों तक हर महीना दस हजार रुपये प्रोत्साहन राशि, कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वरोजगार से जोड़ने की व्यवस्था, नकद इनाम, तथा कृषि या शहरी भूमि प्रदान करने का प्रावधान है।
बस्तर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, बस्तर में अब बंदूक की जगह किताब हैं, सड़क और तरक्की की गूंज सुनाई दे रही है। हमारा लक्ष्य बस्तर को विकास के मार्ग में अग्रणी बनाना है। बस्तर के दूरदराज गांवों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ‘नियद नेल्ला नार’ (अर्थात आपका अच्छा गांव) योजना शुरू की गई है।
इस योजना के तहत 54 सुरक्षा शिविरों के 10 किलोमीटर दायरे में स्थित 327 से अधिक गांवों में सड़क, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री आवास, मोबाइल टावर और वन अधिकार पट्टों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
अधिकारियों ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ के रेकावाया गांव में स्कूल बन रहा है, जहां कभी माओवादी अपने स्वयं के स्कूल संचालित करते थे। हिंसा के कारण बंद पड़े लगभग 50 स्कूलों को फिर से खोला गया है, नए भवन तैयार हुए हैं, और सुरक्षा शिविर खुलने के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं भी तेजी से पहुंचाई जा रही हैं।
