छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुए 7 करोड़ रुपये के तेंदूपत्ता प्रोत्साहन राशि घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। घोटाले में संलिप्त 11 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है, जिनमें 4 वनकर्मी और 7 वनोपज समितियों के प्रबंधक शामिल हैं।
गिरफ्तार आरोपियों को दंतेवाड़ा जिला न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए। आरोपियों में सुकमा वनमंडल के डिप्टी रेंजर चैतूराम बघेल, देवनाथ भारद्वाज और पोड़ियामी इड़िमा (हिडमा), वनरक्षक मनीष कुमार बारसे शामिल हैं। वहीं वनोपज समिति के प्रबंधक पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु, मोहम्मद शरीफ, सीएच रमना, सुनील नुप्पो, रवि कुमार गुप्ता, आयतू कोरसा और मनोज कवासी भी गिरफ्तार किए गए हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
यह घोटाला वर्ष 2021 और 2022 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (बोनस) में किया गया। जांच में सामने आया कि तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाकर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से करोड़ों की राशि हड़प ली। कई बार यह राशि मृतक कर्मचारियों और तेंदूपत्ता से जुड़े न होने वाले लोगों के नाम पर दर्शाई गई।
शिकायत के आधार पर EOW ने गहन जांच शुरू की और पुख्ता साक्ष्य के बाद 17 अप्रैल 2025 को तत्कालीन डीएफओ अशोक कुमार पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
वन विभाग की भी सख्ती
वन विभाग ने घोटाले को गंभीरता से लेते हुए 11 वनोपज समितियों के प्रबंधकों को तत्काल सेवा से हटाते हुए संबंधित संचालक मंडलों को भंग कर दिया है। नए सिरे से समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जांच जारी, और गिरफ्तारियां संभव
EOW और ACB की संयुक्त कार्रवाई ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की मेहनत की कमाई में सेंध लगाने वाले आंतरिक भ्रष्ट तंत्र का खुलासा किया है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि मामले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं, क्योंकि जांच अब भी जारी है।
