रायपुर। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका आज प्रधान महालेखाकार कार्यालय में आयोजित ऑडिट पखवाड़ा 2025 के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। यह विशेष आयोजन लेखा परीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में 20 नवंबर से 8 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया गया था। दो सप्ताह तक चले इस पखवाड़े में विभिन्न विभागों, लेखा परीक्षा विशेषज्ञों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लेकर वित्तीय प्रबंधन, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने पर विस्तृत विचार-विमर्श किया।
समापन समारोह में राज्यपाल रमेन डेका ने संबोधित करते हुए कहा कि लेखा परीक्षा व्यवस्था किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षक न केवल सरकारी कार्यों का वित्तीय मूल्यांकन करते हैं, बल्कि शासन को सही दिशा देने का महत्वपूर्ण कार्य भी करते हैं। उन्होंने पारदर्शिता एवं जवाबदेही को सुशासन की अनिवार्य शर्त बताते हुए कहा कि “ऑडिट केवल त्रुटि खोजने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह बेहतर प्रशासन और जनसेवा के लिए मार्गदर्शन का साधन है।”
पारदर्शिता और सुशासन पर जोर
राज्यपाल ने कहा कि तेजी से बदलते डिजिटल युग में लेखा परीक्षा की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। सरकारी योजनाओं में बजट आवंटन, व्यय की निगरानी और कार्यान्वयन के परिणामों का मूल्यांकन—इन सभी में ऑडिट की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि तकनीक के माध्यम से ऑडिट प्रक्रिया को अधिक सटीक, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी विभागों से समय पर विवरण प्रस्तुत करने, आर्थिक अनुशासन बनाए रखने और ऑडिट टीमों के साथ समन्वय को मजबूत करने की अपील की।
पखवाड़े में आयोजित हुए अनेक कार्यक्रम
20 नवंबर से 8 दिसंबर तक चले इस पखवाड़े के दौरान विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण सत्र, संगोष्ठियां और विभागीय संवाद आयोजित किए गए। सरकारी योजनाओं की निगरानी, वित्तीय जोखिम प्रबंधन, डिजिटल ऑडिटिंग, ई-गवर्नेंस और डेटा विश्लेषण जैसे विषयों पर अधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। ऑडिट पखवाड़ा का उद्देश्य सरकारी वित्तीय प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना, पारदर्शिता बढ़ाना और कर्मचारियों में वित्तीय उत्तरदायित्व की भावना को और अधिक मजबूत करना था। समापन समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लेखा परीक्षकों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने पुरस्कृत अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे प्रयास प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाते हैं।
