सरकारी स्कूल में 78 बच्चों को एंटी-रेबीज इंजेक्शन: कुत्ते का जूठा खाना परोसने पर हाईकोर्ट का सख्त आदेश

प्रादेशिक मुख्य समाचार

बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के लच्छनपुर गांव के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को दूषित भोजन परोसने का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। घटना 28 जुलाई की है, जब स्कूल में मिडडे मील तैयार कर रहा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) भोजन पर निगरानी रखने में नाकाम रहा। इसी दौरान एक कुत्ता खाने में मुंह मार गया, लेकिन इसके बावजूद वही भोजन छात्रों को परोस दिया गया। बच्चों और शिक्षकों ने आपत्ति जताई, मगर कथित रूप से समूह ने भोजन बदलने की बजाय गंदे हिस्से को हटाकर बाकी खाना ही छात्रों को दे दिया। शिकायत के बाद मामला गंभीरता से सामने आया।

कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

इस घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया। राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी गई। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि घटना के बाद करीब 78 छात्रों को एहतियातन रेबीज रोधी वैक्सीन की तीन खुराकें दी गईं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया कि सभी बच्चे स्वस्थ हैं और स्कूल आ रहे हैं।

जिम्मेदार अधिकारियों पर गिरी गाज

रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने संबंधित स्वयं सहायता समूह को स्कूल से हटा दिया और भविष्य में किसी भी सरकारी लाभ से वंचित करने का निर्णय लिया। वहीं, स्कूल के प्रभारी प्राचार्य और संबंधित शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया। साथ ही जिलाधिकारी ने सभी सरकारी स्कूलों में मिडडे मील की गुणवत्ता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इस घटना को “गंभीर लापरवाही” करार दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्चों को दूषित या जूठा भोजन परोसना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है।

प्रत्येक छात्र को मिलेगा 25-25 हजार रुपये

कोर्ट ने आदेश दिया कि घटना से प्रभावित हर छात्र को एक महीने के भीतर 25-25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। अदालत ने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार भविष्य में मिडडे मील योजना की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण पर और अधिक ध्यान देगी, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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