रायपुर छत्तीसगढ़ के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि एनएबीएल ने एम्स की लैब को मान्यता प्रदान की है।इससे प्रदेश की जनता को कोविड-19, हेपेटाइटिस, डेंगू, चिकनपॉक्स, कंजंक्टिवाइटिस, और मम्प्स जैसी बीमारियों के साथ-साथ 12 प्रमुख वायरल संक्रमणों की जांच की सुविधा मिलेगी।
रायपुर, एम्स रायपुर की वायरोलॉजी लैब (वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब – VRDL) को 1 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशालाओं की प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से ISO 15189:2022 मान्यता प्राप्त हुई। यह मान्यता 12 प्रमुख मानव विषाणु संक्रमणों की जांच के लिए दी गई है।
किन-किन संक्रमणों की होगी जांच?
वायरल मैनिंजाइटिस/एन्सेफलाइटिस
कोविड-19 (SARS-CoV-2)
स्वाइन फ्लू (H1N1), इन्फ्लुएंजा बी
आरएसवी
14 उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का कारण)
एपस्टीन-बार वायरस (EBV)
हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV)
साइटोमेगालोवायरस (CMV)
हेपेटाइटिस बी व सी वायरल लोड
डेंगू ।
राज्य का नोडल सेंटर
2018 में स्थापित यह लैब कोविड-19, हेपेटाइटिस A/B/C/E, डेंगू, चिकनपॉक्स, कंजंक्टिवाइटिस और मम्प्स जैसी बीमारियों की जांच में प्रमुख भूमिका निभा रही है। साथ ही यह छत्तीसगढ़ की कोविड-19 जांच और SARS-CoV-2 के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए नोडल सेंटर है।
महत्वपूर्ण उपलब्धि
एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक ले. जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने इसे छत्तीसगढ़ में अत्याधुनिक निदान सेवाओं की दिशा में बड़ा कदम बताया। प्रो. (डॉ.) अनुदिता भार्गव और प्रो. (डॉ.) संजय सिंह नेगी ने इसे टीम के सामूहिक प्रयासों का परिणाम बताया।
टीम की भूमिका
इस उपलब्धि में डॉ. माधवी मडके के नेतृत्व में सीनियर रेजिडेंट्स, रिसर्च साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन और अन्य अनुसंधान कर्मियों का विशेष योगदान रहा।
