कांगेर घाटी में बाढ़ की चपेट में आया परिवार: कई लोगों की मौत, जगदलपुर में दहशत का माहौल

प्रादेशिक मुख्य समाचार

बस्तर / छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की शांत वादियों में मंगलवार को एक ऐसी त्रासदी घटी, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। ठीक वहीं, जहाँ सैलानियों का मौसम होता है उत्साह और उत्सव से भरा, वहां कांगेर घाटी के नाले ने एक परिवार की खुशियों को हमेशा के लिए बहा दिया। बारिश के आकार में आई मौत ने जैसे पलभर में सब छीन लिया।

चार शव, टूटी खुशियाँ – बस्तर की धरती पर तमिलनाडु का परिवार हुआ हादसे का शिकार”!

– दरभा थाना क्षेत्र की कांगेर घाटी में मंगलवार को हुई भारी बारिश ने स्थिति को भयावह बना दिया।

– रायपुर से तीरथगढ़ की ओर घूमने निकला एक तमिलनाडु मूल का परिवार हादसे का शिकार हो गया।

– स्विफ्ट डिज़ायर कार नाला पार करते वक्त अचानक बाढ़ जैसे बहाव में समा गई।

– कार मालिक राजेश (43), उनकी पत्नी पवित्रा (40), बेटी सौजन्या (7) और नन्ही सौमया (4) बाढ़ की रफ्तार में जिंदगी हार बैठे।

– कार का ड्राइवर किसी तरह तैरकर पेड़ का सहारा लेते हुए जान बचाने में सफल हुआ।

त्रासदी का मंजर – “जो घूमने निकले थे, वही आखिरी सफर बन गया”!

– मंगलवार सुबह जब राजेश अपने परिवार के साथ घर से निकले, तो सोचा भी नहीं होगा कि प्रकृति की बेरहम चाल उनकी प्यारी दुनिया को तहस-नहस कर देगी।

– बारिश थी तेज़, बहाव था विकराल – ड्राइवर ने कार को नाले में उतारा, पानी और गहराई पकड़ता गया।

– एक झटके में कार बहाव में फंस गई, चीखें गूंज उठीं, लेकिन मदद देर से पहुँची।

– चंद पलों की जद्दोजहद के बाद बाढ़ ने कार को बहा दिया।

– दरभा पुलिस और SDRF टीम मौके पर दौड़ी, लेकिन प्रकृति की रफ्तार इंसानी ताकत से कहीं आगे थी।

“दो मासूम देवदूत भी निगल गई बाढ़”!

– सात साल की सौजन्या और चार साल की सौमया बच्चों की खिलखिलाहट अब यादों में बदल गई।

– माता-पिता के साथ दोनों का बचपन नदी के उफान में थम गया।

– पोस्टमार्टम के लिए शवों को मेकाज अस्पताल ले जाया गया।

– परिजनों को सूचना दी गई, गाँव-घर में मातम का सन्नाटा उतर आया।

ड्राइवर की आँखों में तैरती दहशत !

– इस दर्दनाक हादसे का अकेला गवाह है- ड्राइवर, जिसने मौत को सामने से देखा।

– पानी के बहाव में डूबती कार, बंद खिड़कियों के भीतर तड़पता परिवार और चारों तरफ मौत का सन्नाटा ये दृश्य उसकी आँखों में कैद रह गया।

– किसी तरह पेड़ का सहारा लेते हुए उसने अपनी जान बचाई।

– मगर सवाल यह है कि क्या वह रात को कभी चैन की नींद सो पाएगा?

प्रशासन की सफाई और जिम्मेदारी:- एडिशनल एसपी महेश्वर नाग ने घटना की पुष्टि की और कहा –

– ” बस्तीदार इलाकों के पास अचानक तेज़ बारिश से नाले का जलस्तर बढ़ गया था।”

  • सरकार और प्रशासन ने चेतावनी जारी करने की बात कही, मगर सवाल उठा – क्या ये चेतावनियाँ ज़मीन तक पहुँचती हैं या सिर्फ कागज़ों तक सिमटी रहती हैं?

– SDRF टीम ने पूरी कोशिश की, लेकिन पानी का दबाव इतना अधिक था कि बचाव संभव न हो सका।

बड़ा सवाल – प्रकृति के सामने इंसान कितना असहाय ?

– यह हादसा सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की आँखें खोलने वाला है।

– साल दर साल बारिश के मौसम में नाले, पुल और घाटियों पर ऐसे हादसे हो रहे हैं।

– क्या सड़क सुरक्षा और स्थायी पुलों की ज़रूरत अब भी अनसुनी रहेगी?

– क्या पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है कि जान गंवाना ही कीमत बन जाए?

समापन का शोकगीत !

– कांगेर घाटी की खूबसूरत हरियाली के बीच अब मातम पसरा है।

– प्रकृति की गोद में सुकून ढूँढने निकला एक परिवार अब वहीं अनंत नींद में सो गया।

चार चिताएँ बुझेंगी, मगर उनसे उठते सवाल जलते रहेंगे –

– क्या हमारी प्रशासनिक लापरवाहियाँ ऐसी मौतों की जिम्मेदार हैं?

– क्या सैलानियों को चेताया जा सकता था?

– और क्या एक परिवार की खुशियों को यूँ ही बह जाने देना ही हमारे समाज की नियति है?

– कांगेर के नाले में डूब गया तमिलनाडु का परिवार – और साथ ही डूब गई हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसे की आखिरी डोर।

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