कंबोडिया गैंग के 5 सदस्य गिरफ्तार: डिजिटल अरेस्ट ठगी में शामिल थे आरोपी, दूसरे राज्यों से हुई गिरफ्तारी

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रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन साइबर शील्ड के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतरराज्यीय ठग गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को फंसाकर करोड़ों की ठगी कर रहे थे। पुलिस ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से आरोपियों को दबोचने में सफलता हासिल की है।

दो बड़े मामले उजागर – 1.02 करोड़ की ठगी

रायपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा के निर्देश पर रेंज साइबर थाना रायपुर ने कार्रवाई करते हुए दो महत्वपूर्ण मामलों का खुलासा किया।

केस 1: प्रार्थी रामेश्वर प्रसाद देवांगन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को सीबीआई और आरबीआई अधिकारी बताकर उनसे संपर्क किया। आरोपियों ने प्रार्थी को झूठी कहानी सुनाई कि उनके मोबाइल नंबर के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है। पीड़ित को 24 घंटे तक व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर निगरानी में रहने के लिए मजबूर किया गया और इस दौरान उससे 14 लाख रुपए की ठगी कर ली गई। मामले में थाना पुरानी बस्ती में अपराध क्रमांक 282/25 धारा 318(4), 3(5) बीएनएस और 66(D) आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

केस 2: प्रार्थी संतोष दाबडघाव के साथ भी इसी तरह का डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड किया गया। आरोपियों ने खुद को दूरसंचार विभाग, बेंगलुरु और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर धमकाया कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज है। पीड़ित को लगातार वीडियो कॉल पर रखकर मानसिक दबाव बनाया गया और उससे 88 लाख रुपए की ठगी कर ली गई। इस मामले में थाना पुरानी बस्ती में अपराध क्रमांक 305/24 दर्ज किया गया है। दोनों मामलों को मिलाकर ठगों ने 1.02 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की।

आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

मामलों की गंभीरता को देखते हुए आईजी अमरेश मिश्रा ने रेंज साइबर थाना रायपुर को तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण करने और मुख्य आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने के निर्देश दिए।

पुलिस टीमों ने कॉल डिटेल, बैंक खातों और लेनदेन का विश्लेषण कर ठगों की लोकेशन ट्रेस की।

आरोपी घटना के बाद अलग-अलग राज्यों में छिप गए थे।

पुलिस की विशेष टीमों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र भेजा गया।

कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने गिरोह के 5 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार आरोपी

मनीष पाराशर, पिता अशोक कुमार, उम्र 27 वर्ष, निवासी गोकुलपुरी, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली

अर्जुन सिंह, पिता ब्रह्मा देव, उम्र 25 वर्ष, निवासी सियामल पटैनी, हाथरस, उत्तर प्रदेश

राहुल मर्कड, पिता सुभाष बाबूराव, उम्र 40 वर्ष, निवासी अहमदनगर, महाराष्ट्र

आकाश तुषरानी, पिता इंदरलाल, उम्र 33 वर्ष, निवासी उल्लासनगर, ठाणे, महाराष्ट्र

लखन जाटव, पिता दीपचंद, उम्र 36 वर्ष, निवासी उज्जैन, मध्यप्रदेश

इनमें से मनीष पाराशर और अर्जुन सिंह पीड़ितों को कॉल कर डिजिटल अरेस्ट का झांसा देने का काम करते थे, जबकि राहुल मर्कड, आकाश तुषरानी और लखन जाटव ठगी से प्राप्त रकम को इधर-उधर करने और हवाला चैनल के जरिए आगे बढ़ाने में शामिल थे।

पुलिस का बयान

आईजी रायपुर रेंज अमरेश मिश्रा ने बताया कि साइबर अपराधियों ने अंतरराष्ट्रीय गैंग कंबोडिया कनेक्शन से जुड़े तरीकों का इस्तेमाल किया। यह गिरोह लोगों को सरकारी अधिकारी बनकर डराता था और फिर उन्हें डिजिटल अरेस्ट यानी लगातार वीडियो कॉल पर रखकर मानसिक दबाव डालता था। इसी दौरान उनके बैंक खातों से लाखों-करोड़ों की रकम उड़ा ली जाती थी। उन्होंने कहा कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई से न केवल आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है बल्कि ठगी की रकम को भी होल्ड और जब्त करने की प्रक्रिया जारी है।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, आरबीआई या दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते हैं कि उसके नाम पर गंभीर अपराध दर्ज है। इसके बाद उसे 24 घंटे वीडियो कॉल पर निगरानी में रहने का दबाव डालते हैं। इस दौरान वे पीड़ित के बैंक अकाउंट की डिटेल और लेनदेन पर कब्जा कर उसकी पूरी बचत निकाल लेते हैं।

आगे की कार्यवाही

गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल दाखिल किया गया है। पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क के कंबोडिया और अन्य विदेशी लिंक की जांच कर रही है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस गिरोह ने देशभर में और किन-किन राज्यों में लोगों को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया है। आईजी अमरेश मिश्रा ने आम नागरिकों से अपील की है कि कोई भी कॉल आने पर जिसमें खुद को सरकारी अधिकारी बताकर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स केस या किसी अन्य अपराध में नाम जुड़ने की धमकी दी जाए, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। किसी भी स्थिति में अजनबी कॉलर के दबाव में आकर पैसे ट्रांसफर न करें और डिजिटल अरेस्ट के झांसे में न फंसे।

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