नयी दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने युवा डॉक्टरों से ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में समाज के उन वर्गों के लिए काम करने का आग्रह किया है जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है।
श्रीमती मुर्मु ने सोमवार को गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पहले दीक्षांत समारोह में कहा कि इस संस्थान और अन्य एम्स की स्थापना देश के हर कोने में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने कहा कि समाज और देश के विकास में डॉक्टरों की अहम भूमिका होती है। डॉक्टर न सिर्फ बीमारियों का इलाज करते हैं, बल्कि स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं। स्वस्थ नागरिक ही राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बन सकते हैं।
उन्होंने युवा डॉक्टरों से समाज के उन वर्गों के लिए काम करने का आग्रह किया जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में अभी भी वंचित समुदायों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। उन्होंने विश्वास जताया कि युवा डॉक्टर इस बारे में सोचेंगे और ऐसे इलाकों और लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काम करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन सहानुभूति के महत्व को समझना जरूरी है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे भावी डॉक्टरों को शुरू से ही ऐसा माहौल उपलब्ध कराएं जिसमें वे डॉक्टर-रोगी संवाद, उपचार में सहानुभूति की भूमिका और विश्वास निर्माण जैसे विषयों के साथ-साथ अपने कौशल के बारे में भी जानें तथा उन्हें अपनी कार्यशैली में अपनाएं। उन्होंने डॉक्टरों को सलाह दी कि वे अपने करियर और जीवन में इस बात को याद रखें कि चिकित्सा केवल एक पेशा नहीं बल्कि मानवता की सेवा है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि वे करुणा और ईमानदारी को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाएं।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि एम्स संस्थान भारत की चिकित्सा क्षमता के प्रतीक हैं और इनका नाम सुनते ही मन में विश्वस्तरीय उपचार,उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं, आधुनिक तकनीक और समर्पित डॉक्टरों की छवि उभरती हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में हर मरीज को उम्मीद की एक नई किरण दिखाई देती है। एम्स ने भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि चाहे सर्जरी की नई तकनीक हो, शीघ्र निदान के लिए उपकरण हो या आयुष और एलोपैथी के संयोजन से रोगों का उपचार हो, एम्स ने नवाचार को अपनी कार्यशैली का हिस्सा बनाया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह कहा जा सकता है कि सभी एम्स संस्थान देश के पहले एम्स की स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने में सफल रहे हैं।
