अनिल अंबानी पर एक बार फिर संकट में घिरते नजर आ रहे हैं। खबर है कि 3,000 करोड़ रुपये के यस बैंक लोन धोखाधड़ी जांच में प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) ने अनिल अंबानी से जुड़े 50 ठिकानों पर छापे मारे हैं। इस बीच, अनिल अंबानी की कंपनी के शेयरों में भूचाल आ गया है। अधिकतर शेयर में गिरावट है। रिलांयस पावर के शेयर में 6% तक की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, रिलायंस इंफ्रा के शेयर 5% तक टूट गए। अब कंपनी ने बयान जारी किया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि ईडी द्वारा हाल ही में की गई कार्रवाई से संबंधित मीडिया रिपोर्टों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहता है। उक्त कार्रवाइयों का रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के कारोबार ऑपरेशन, फाइनेंस परफॉर्मेंस, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य स्टेकहोल्डर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट्स रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) के 10 साल से अधिक पुराने लेनदेन से संबंधित आरोपों से संबंधित प्रतीत होती हैं।
यह स्पष्ट किया जाता है कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर एक अलग और इंडिपेंडेंट लिस्टेड यूनिट है जिसका RCOM या RHFL से कोई व्यावसायिक या वित्तीय संबंध नहीं है। RCOM पिछले 6 सालों से दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 के अनुसार कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार RHFL का मामला पूरी तरह से सुलझ गया है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मीडिया रिपोर्टों में लगाए गए आरोपों जैसे ही आरोप न्यायालय में विचाराधीन हैं और माननीय प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित हैं। इसके अलावा, अनिल अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं। तदनुसार, RCOM या RHFL के विरुद्ध की गई किसी भी कार्रवाई का रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर पावर के शासन, प्रबंधन या संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
क्या है मामला?
प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों और ‘यस बैंक’ के खिलाफ 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण ‘घोटाले’ के मामले में कई जगहों पर छापेमारे हैं। यह छापेमारी सीबीआई द्वारा दर्ज की गई दो प्राथमिकियों और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) सहित एजेंसियों द्वारा साझा की गई जानकारी के बाद की गई है।
ईडी के अनुसार, शुरुआती जांच से पता चलता है कि 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अप्रूल्ड लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन को कथित तौर पर फर्जी फर्मों और समूह की अन्य संस्थाओं में डायवर्ट किया गया था। जांचकर्ताओं को यस बैंक के अधिकारियों, जिनमें इसके प्रमोटर भी शामिल हैं, को रिश्वत दिए जाने के भी सबूत मिले हैं।
25 से अधिक लोगों की तलाशी
अनिल अंबानी के लगभग 35 परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक लोगों की तलाशी ली जा रही है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी के सूत्रों ने बताया, “सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद, ईडी ने रिलांयस ग्रुप कंपनियों (रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों) द्वारा कथित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की जांच शुरू कर दी है। अन्य एजेंसियों और संस्थानों, जैसे- राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा, ने भी ईडी के साथ जानकारी साझा की है।”
