प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लक्ष्य सिद्ध करने के प्रयासों को आध्यात्मिक जगत के लोगों से ऊर्जा मिलती है।
श्री मोदी चारण समाज द्वारा पूज्य आई श्री सोनल मां के तीन दिवसीय जन्म शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में एक वीडियो संदेश में कहा, “आज जब भारत विकसित होने के लक्ष्य पर, आत्मनिर्भर होने के लक्ष्य पर काम कर रहा है, तो आई श्री सोनल मां की प्रेरणा, हमें नयी ऊर्जा देती है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति में चारण समाज की भी बड़ी भूमिका है।”
यह महोत्सव इस समाज के आस्था के केंद्र मढड़ा धाम में आयोजित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री सोनल मां देश के लिये, चारण समाज के लिये, माता सरस्वती के सभी उपासकों के लिये महान योगदान की महान प्रतीक हैं। भागवत पुराण जैसे ग्रन्थों में चारण समाज को सीधे श्रीहरि की संतान कहा गया है। इस समाज पर माँ सरस्वती का विशेष आशीर्वाद भी रहा है। इसीलिये, इस समाज में एक से एक विद्वानों ने परंपरा
अविरत चलती रही है।
श्री मोदी ने कहा कि सोनल मां के दिये गये 51 आदेश, चारण समाज के लिये दिशादर्शक और पथदर्शक हैं। चारण समाज को इसे याद रखना चाहिये और समाज में जागृति लाने का काम निरंतर जारी रखना चाहिये। उन्होंने कहा, “ मुझे बताया गया है कि, सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिये मढड़ा धाम में सतत सदाव्रत का यज्ञ भी चल रहा है। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की और विश्वास जताया कि मढड़ा धाम राष्ट्र निर्माण के ऐसे अनगिनत अनुष्ठानों को गति देता रहेगा।
चारण समाज के लोग मूलत: गुजरात-सौराष्ट्र क्षेत्र के निवासी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ गुजरात और सौराष्ट्र की धरती महान संतों और विभूतियों की भूमि रही है। सौराष्ट्र की इस सनातन संत परंपरा में श्री सोनल मां आधुनिक युग के लिये प्रकाश स्तम्भ की तरह थीं। उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, उनकी मानवीय शिक्षायें, उनकी तपस्या, इससे उनके व्यक्तित्व में एक अद्भुत दैवीय आकर्षण पैदा होता था। उसकी अनुभूति आज भी जूनागढ़ और मढड़ा के सोनल धाम में की जा सकती है।”
