नई दिल्ली. लीवर बॉडी का जरूरी पार्ट्स है। जिसकी मदद से शरीर के टॉक्सिंस को निकालने में मदद मिलती है। साथ ही ये खाने को पचाने और मेटाबॉलिज्म को सही रखने में भी मदद करता है। लेकिन, खानपान की खराबी की वजह से और शराब से लीवर खराब होने लगता है। जिससे फैटी लीवर और लीवर सिरोसिस जैसी समस्या हो जाती है। फैटी लीवर की समस्या अगर नॉन एल्कोहलिक है तो इसे कुछ दवाओं और सही खानपान की मदद से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद में बताई गई ये औषधियां खराब लीवर को बचाने में मदद करती हैं।
त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण बहुत ही फायदेमंद होता है। आयुर्वेदिक तरीकों से तैयार किया गया ये चूर्ण डाइजेशन को सही रखने में मदद करता है। इसके साथ ही शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकालने और लीवर को खराब होने से बचाता है। इसमे एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। त्रिफला का जूस भी लीवर के खराब होने पर पिया जा सकता है।
आंवला
आयुर्वेद में लीवर को खराब होने से बचाने के लिए भूमि आमला का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। ये शरीर के पित्त को बैलेंस करने के साथ ही अपच और एसिडिटी को खत्म करता है। रोजाना दो से चार चम्मच आंवला का जूस फैटी लीवर के लिए फायदेमंद है।
एलोवेरा जूस
एलोवेरा को आयुर्वेद में घृतकुमारी कहते हैं। इससे तैयार जूस को फैटी लीवर में काफी फायदेमंद माना गया है। ये शरीर को डिटॉक्स करने में हेल्प करता है। साथ ही लीवर के फंक्शन को सही करता है।
हल्दी का अर्क
हल्दी को एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट माना गया है। कई सारी रिसर्च में पता चला है कि हल्दी के अर्क में ऐसे तत्व होते हैं जो लीवर को डैमेज होने से बचाते हैं। साथ ही हार्मफुल टॉक्सिंस से होने वाले नुकसान से बचाने में भी मदद करता है। कई बार दवाओं की वजह से लीवर खराब हो जाता है। जिसमे ये हल्दी का अर्क लीवर को डैमेज होने से रोकता है।
