हिंदू धर्म में पूजा-पाठ अपना अलग महत्व तो है ही। साथ ही कई लोग ऐसे भी हैं जो भगवान के नामों को अपने से करीब रखना चाहते हैं। बात की जाए गाड़ी की तो लोग डैशबोर्ड पर भगवान की मूर्ति लगाना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग भगवान की तस्वीर को टांगना भी पसंद करते हैं। कुछ गाड़ियों में आपने बाहर की ओर भगवान का नाम भी लिखा हुआ देखा होगा। इस पर वृंदावन के महान संत प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में राय दी है। नीचे विस्तार से समझिए कि उनके हिसाब से गाड़ियों में इस तरह से भगवान का नाम लिखवाना सही होता है या नहीं? साथ ही जानिए क्या गाड़ी के अंदर भगवान की मूर्ति लगाना सही है?
गाड़ी में भगवान का नाम लिखना कितना सही?
हमारे यहां तो देखो कितने सुंदर भाव है। अगर कोई नई साइकिल भी लाता है तो उसकी पूजा करता है। गाड़ी भी लाते हैं तो उसकी भी…भगवत भाव होता है। यही हमारे धर्म की मानता है कि वो जड़ से जड़ में भी भगवत भाव ले आता है, उसकी पूजा करता है। प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि हम इस भाव को निषेध करते हैं कि गाड़ी में भगवान का नाम लिख देना। मान लो आपने राम लिख दिया, राधा लिख दिया या फिर कृष्ण लिख दिया। फिर पानी पड़ा और वो पैरों के नीचे आता है। ये नहीं करना चाहिए।
गाड़ी में रख सकते हैं भगवान की मूर्ति?
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि भगवान की मूर्ति अंदर लगा रहे हैं या टांग लिया तो कोई परेशानी नहीं है। ये बढ़िया मांगलिक है लेकिन भगवान के नामों को गाड़ी में ना लिखा जाए। उसी के नाम का तो अभिषेक करके हम चरणामृत पीते हैं। नाम का आदर करना सीखें। नाम ना लिखें। हां भगवान की छवि टांग लीजिए। भगवान की भावना करें। गाड़ी भी तो भगवान का ही स्वरूप है।
