केंद्रीय कर्मचारियों के हित में मोदी सरकार ने एक और बड़ा ऐलान दिया है। अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत उपलब्ध सभी टैक्स बेनिफिट एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) पर भी लागू होंगे। इसके जरिए सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूपीएस को और अधिक आकर्षक बनाने का प्रयास कर रही है।
एनपीएस का विकल्प है यूपीएस
इस साल की शुरुआत में 1 अप्रैल, 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना की शुरुआत की गई थी। यह एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में पेश किया गया है। मौजूदा सरकारी कर्मचारी जो पहले से ही एनपीएस के तहत हैं, उन्हें भी यूपीएस में स्विच करने का एक बार का विकल्प दिया गया है। कहने का मतलब है कि यह एनपीएस से जुड़े केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नहीं है।
क्या कहा सरकार ने
वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को वो सभी टैक्स बेनिफिट मिलेंगे, जो एनपीएस के तहत उपलब्ध हैं। इसमें टीडीएस और अन्य टैक्स बेनिफिट लाभ शामिल हैं, जो इस योजना को वित्तीय रूप से अधिक आकर्षक बनाते हैं। यह निर्णय दोनों योजनाओं के बीच समानता लाता है और पारंपरिक एनपीएस के बजाय यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों के लिए समान अवसर देता है।
एकीकृत पेंशन योजना के फीचर्स
एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) एक सुनिश्चित पेंशन प्रदान करती है। इसमें कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 18.5 प्रतिशत हिस्सा सरकार देती है। वहीं, कर्मचारी 10 प्रतिशत योगदान देता है। यह योजना केंद्र सरकार के नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस का स्थान लेने और मौजूदा कर्मचारियों के लिए एनपीएस के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है। एनपीएस की बात करें तो यह भारत सरकार द्वारा सभी ग्राहकों के लिए रिटायरमेंट के बाद नियमित आय की सुविधा प्रदान करने के लिए शुरू की गई एक सेवानिवृत्ति लाभ योजना है।
30 सितंबर तक विकल्प चुनने की डेडलाइन
हाल ही में सरकार ने यूपीएस के तहत कर्मचारियों के विकल्प चुनने की समयसीमा को तीन महीने आगे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया। इससे पहले तक मौजूदा सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और मृतक सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जीवनसाथी सहित पात्र कर्मचारियों को यूपीएस के तहत 30 जून, 2025 तक अपना विकल्प चुनना था।
