भारत में मधुमेह का बड़ा संकट: 5 करोड़ से अधिक लोग इलाज से वंचित

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तिरुवनंतपुरम, भारत में लगातार मधुमेह के मामले बढ़ते जा रहे है। देशभर में मधुमेह से पांच करोड़ से अधिक पीड़ितों का निदान नहीं हो पाया है। इस बीमारी से बचने के लिए नियमित जांच और जीवनशैली में बदलाव की तत्काल जरुरत है।
राष्ट्रीय मधुमेह रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा कि देश में मधुमेह का प्रसार 11.4 प्रतिशत है, जिसमें दस करोड़ से अधिक लोग वर्तमान में इस बीमारी से पीड़ित हैं।
ऑस्ट्रेलियाई जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अपनी हालिया वैज्ञानिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि केरल में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के मामले में नाटकीय बदलाव देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा, “एक समय में यह बीमारी मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों को प्रभावित करती थी, लेकिन अब यह 10 वर्ष की आयु के बच्चों को भी प्रभावित कर रही है। यह अब एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया है।”
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “यह स्थिति युवाओं के जीवन के लिए बड़ा जोखिम है और अगर माता-पिता अपने बच्चों की जीवनशैली में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम सामने आयेंगे।”
उन्होंने स्पष्ट किया, “मधुमेह इंसुलिन की कमी या प्रतिरोध के कारण कार्बोहाइड्रेट को चयापचय (मेटाबोलाइज) करने की शरीर की खराब क्षमता के कारण होता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और दिल के दौरे, स्ट्रोक, गुर्दे की विफलता और न्यूरोपैथी जैसी गंभीर जटिलताएँ होती हैं। उन्होंने बताया कि टाइप 2 मधुमेह के 90 प्रतिशत से अधिक मामले हैं, जबकि टाइप 1 और गर्भावधि मधुमेह जैसे अन्य रूप भी जोखिम पैदा करते हैं।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लक्षण अक्सर अस्पष्ट रहते हैं, जिससे बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए शुरुआती जांच महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि जागरूकता बढ़ाने और नियमित रक्त शर्करा परीक्षण की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने नियमित मध्यम व्यायाम, अधिक प्रोटीन और फाइबर सेवन पर ध्यान केंद्रित करने वाले आहार परिवर्तन, वजन कम करना, उचित नींद, तनाव प्रबंधन और धूम्रपान से बचने सहित जीवनशैली में हस्तक्षेप की सिफारिश की।
मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए, जटिलताओं को कम करने के लिए नियमित चिकित्सा अनुवर्ती और एचबीए1सी के स्तर को सात प्रतिशत से कम नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। भारत में एचबीए1सी का राष्ट्रीय औसत 9.1 प्रतिशत है, इसलिए उन्होंने इस बढ़ते स्वास्थ्य संकट को रोकने के लिए मधुमेह को मापने, निगरानी करने और प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए प्रयास तेज करने का आह्वान किया।

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