जगदीप धनखड़ के हालिया इस्तीफे के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मालदीव दौरे से लौटने के बाद लिया जाएगा। एनडीए की एक अहम बैठक जल्द ही होने की संभावना है, जिसमें उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने ही किसी अनुभवी नेता को इस पद के लिए नामित करने की योजना बना रही है, जिसे गठबंधन के सहयोगी दलों का समर्थन प्राप्त होगा। यहां खास बात ये है कि अगला उपराष्ट्रपति उम्मीदवार उन पांच राज्यों में से हो सकता है जहां अगले साल तक विधानसभा चुनाव होने हैं।
धनखड़ के इस्तीफे ने चौंकाया
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका यह कदम चौंकाने वाला था, क्योंकि वह अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान कई बार विपक्षी दलों के साथ टकराव के कारण चर्चा में रहे। धनखड़ भारत के उन चुनिंदा उपराष्ट्रपतियों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दिया। इससे पहले केवल वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमण ही ऐसा कर चुके हैं।
एनडीए की मजबूत स्थिति
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। वर्तमान में इस निर्वाचक मंडल में कुल 782 सांसद हैं, जिनमें से एनडीए के पास लगभग 425 सांसदों का समर्थन है। यह स्पष्ट बहुमत एनडीए के उम्मीदवार को इस पद के लिए प्रबल दावेदार बनाता है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अपने संगठनात्मक और वैचारिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसे नेता को चुनना चाहती है, जिसके पास व्यापक राजनीतिक और विधायी अनुभव हो।
इन पांच राज्यों पर विशेष ध्यान
उपराष्ट्रपति को लेकर एनडीए की रणनीति में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखा जा रहा है। बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में और अगले साल असम के अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए उम्मीदवार के चयन में चुनावी पहलुओं की भी भूमिका होने की उम्मीद है। उपराष्ट्रपति उच्च सदन का पदेन सभापति होता है, जो संसद की कार्यवाही को आकार देने और इस प्रकार सरकार के एजेंडे को दिशा देने में एक महत्वपूर्ण पद है।
संभावित उम्मीदवारों में कौन?
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक नाम सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा है कि राज्यसभा के उपसभापति व NDA सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद हरिवंश एक नाम हो सकते हैं। वे 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं और एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं। उन्हें सरकार का विश्वास प्राप्त है और उनकी गैर-विवादास्पद छवि उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है। लेकिन दूसरी तरफ इस तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इस बार अपने ही किसी अनुभवी नेता को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएगी।
पीएम मोदी की वापसी का इंतजार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के बाद वर्तमान में मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर हैं, जहां उन्होंने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की और आठ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। उनकी वापसी के बाद एनडीए की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा तेज होने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवार की घोषणा अगले सप्ताह तक हो सकती है, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके लिए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति भी कर दी गई है।
बीजेपी इस बार अपने ही किसी अनुभवी नेता को इस पद के लिए चुनना चाहती है, ताकि संगठन की विचारधारा और मूल्यों को मजबूती मिले। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नए प्रयोगों से बचना चाहती है और अपने अनुभवी नेताओं के पूल में से ही उम्मीदवार का चयन करेगी। इस प्रक्रिया में सहयोगी दलों की सहमति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि गठबंधन की एकजुटता बनी रहे।
धनखड़ के साथ भाजपा का अनुभव पार्टी को आजमाए हुए तरीके अपनाने के लिए कर सकता है प्रेरित
NDA इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए अपने उम्मीदवार के चयन को लेकर विचार-विमर्श शुरू करने वाला है और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष भी इस पद की दौड़ में शामिल होगा। हालांकि, भाजपा ने इस बारे में अभी विचार-विमर्श शुरू नहीं किया है, लेकिन पार्टी और उसके सहयोगियों के भीतर यह सहमति बनती दिख रही कि भाजपा नेतृत्व प्रयोग पर अत्यधिक ध्यान देने के बजाय संगठनात्मक जुड़ाव और वैचारिक शुचिता को प्राथमिकता देगा।
उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ की बेबाकी और अपरंपरागत शैली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को रास नहीं आई और 21 जुलाई को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को स्वीकार करने के उनके (धनखड़ के) फैसले से सत्तारूढ़ गठबंधन में नाराजगी देखने को मिली। इसके कुछ ही घंटों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कई नेताओं का मानना है कि इस बार राजग में उन प्रवृत्तियों का पालन करने की संभावना नहीं दिखती, जिनके कारण उसने धनखड़ को चुना और अब उनके उत्तराधिकारी की तलाश में वह अधिक पारंपरिक रुख अपनाएगा।
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘जब पार्टी के भीतर भी बातचीत शुरू नहीं हुई है, तो संभावितों के बारे में अटकलें लगाना बेमानी है। हालांकि, राजनीतिक विवेक बताता है कि धनखड़ द्वारा उठाया गया कदम भविष्य के किसी भी फैसले पर भारी पड़ेगा।’’ निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि कानून एवं न्याय मंत्रालय से परामर्श करके और राज्यसभा के उपसभापति की सहमति के बाद उसने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पी सी मोदी को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है। निर्वाचन आयोग ने चुनाव के दौरान संयुक्त सचिव, राज्यसभा सचिवालय गरिमा जैन और राज्यसभा सचिवालय निदेशक विजय कुमार को भी सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।
