मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 22 दिनों के भीतर 6 बच्चों की मौत और राजस्थान में एक बच्चे की जान जाने से हड़कंप मच गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इन सभी बच्चों की किडनी फेल हो गई थी। आशंका जताई जा रही है कि ‘कफ सिरप’ की वजह से इन बच्चों की जान गई है, क्योंकि शुरुआत में सभी को सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी शिकायतें थीं। इन्होंने कुछ ब्रैंड की कफ सिरप का इस्तेमाल किया था। वहीं, मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने कफ सिरप की बात को निराधार बताया है।
एक अधिकारी ने बताया कि 4 सितंबर से 26 सितंबर के बीच किडनी संबंधी दिक्कतों की वजह से छिंदवाड़ा जिले में 6 बच्चों की मौत हो गई। पीड़ित परिवारों का कहना है कि बच्चों को शुरुआत में सर्दी, खांसी और बुखार था। इसके बाद उनकी किडनी प्रभावित हुई और स्थिति बिगड़ गई। चीफ मेडिकल और हेल्थ ऑफिसर डॉ. नरेश गुन्नाडे ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की टीमों को किडनी फेल होने की वजहों का पता लगाने के लिए बुलाया गया है। उन्होंने सैंपल लिए हैं और जांच के लिए भेजा है। रिपोर्ट का अब भी इंतजार है।
डॉ. गन्नाडे ने एएनआई से कहा, ’22 अगस्त को छिंदवाड़ा के परासिया में कुछ बच्चों में बुखार की शिकायतें आईं। बाद में मौतों की सूचना मिली। 4 से 7 सितंबर के बीच नागपुर के एक निजी अस्पताल में तीन बच्चों की मौत हुई। शुरुआती जांच में पता चला कि बच्चों को यहां निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था और फिर नागपुर शिफ्ट कर दिया गया। वे परासिया सरकारी अस्पताल नहीं आए थे।’
सीएमएचओ ने कहा, ‘घटना सामने आने के बाद हमने परासिया सरकारी अस्पताल में 10 बिस्तरों का एक वार्ड बनाया। बाद में तीन और बच्चों की मौत हुई। अभी तक 4 से 26 सितंबर के बीच 6 बच्चों की मौत हुई है। वजह है किडनी का फेल होना। नेशनल सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज (NCDC) और राज्यस्तरीय इंटिग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रॉजेक्ट (IDSP) की टीमें जांच के लिए आई हैं। उन्होंने मानव, जल और अन्य संबंधित सैंपल लिए हैं। इन्हें जांच के लिए भेजा गया है।’ उन्होंने आगे कहा कि बैतूल, सिवनी, पांढुर्ना से भी कुछ मामले आए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई बीमारी नहीं लेकिन मामले की जांच की जा रही है।
सीएमएचओ ने कहा, ‘हमने कुछ दवाओं को भी बैन किया है, जिनमें कुछ कफ सिरप भी हैं, जो मृत बच्चों के घर से मिले थे और इन्हें जांच के लिए भेजा गया है। हमने कहा है कि जब तक लैब रिपोर्ट ना आ जाए इनकी बिक्री रोक दी जाए। इलाज के लिए पांच बच्चों को नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भेजा गया है।’
इस बीच जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है और स्वास्थ्य विभाग जमीन पर प्रभावित बच्चों की पहचान और लक्षण के आधार पर इलाज में जुटा है। उन्होंने कहा कि भोपाल और दिल्ली से एक्सपर्ट्स की टीमें आईं हैं। इनकी मदद से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और शिशु रोग विशेषज्ञों के साथ मीटिंग की गई। पुणे से मिली रिपोर्ट के मुताबिक वेक्टर ब्रोन वायरल इन्फेक्शन के लक्षण नहीं मिले हैं। इसलिए आशंका है कि कुछ दवाओं के मिश्रण वाली समस्या हो सकती है। डीएम ने अभिभावकों को सलाह दी कि बिना डॉक्टर से संपर्क किए बच्चों को कफ सिरप और दवाएं ना दें। उन्होंने कहा, ‘कुछ डॉक्टरों ने सलाह दी है कि सिरप का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाए। कुछ सैंपल लिए गए हैं। एहतियात के तौर पर डॉक्टरों और अभिभावकों को कुछ सिरप के इस्तेमाल को लेकर अडवाइजरी जारी की गई है।’
राजस्थान में भी कफ सिरप बैन
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहां छह बच्चों की मौत हो गई है तो राजस्थान के सीकर में भी एक बच्चे की मौत को कफ सिरप से जोड़ा जा रहा है। राजस्थान मेडिकल कॉर्पोरेशन ने 19 बैच के सिरप को बिक्री और इस्तेमाल से बैन कर दिया है। अभिभावकों, डॉक्टरों और मेडिकल ऑपरेटर्स को सतर्क करने के लिए अडवाइजरी जारी की गई है।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- कफ सिरप के कारण मौते नहीं
मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि स्वास्थ्य अमला इस पूरे मामले में नजर बनाए हुए है। उन्होंने कफ सिरप की बात को निराधार बताया और कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई है उनकी जांच रिपोर्ट भेजी गई है, जांच रिपोर्ट के बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो पाएगी। रीवा में प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि पूरे स्वास्थ्य विभाग नजर बनाए हुए है। स्थिति नियंत्रण में है, जिन बच्चों की मौत हुई है उनकी रिपोर्ट आईसीएमआर और नागपुर भेजी गई है। जैसे ही रिपोर्ट आएगी ये पता चलेगा कि बच्चों की मौत के पीछे की वजह क्या है। जब तक उसकी रिपोर्ट नहीं आ जाती कुछ भी कहना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कफ सिरप की जो बात आई है पूरी तरह से निराधार है। कफ सिरप के कारण ये मौतें नहीं हुई है ये तय है।