सुप्रीम कोर्ट ने आज, 5 अगस्त 2025 को एक अहम फैसला सुनाया। DHFL कंपनी के प्रमोटर धीरज वधावन को मिली मेडिकल जमानत रद्द कर दी है। यह जमानत करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाले के मामले में दी गई थी। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले आदेश को पलटते हुए धीरज को दो हफ्ते के अंदर जेल वापस लौटने का आदेश दिया।
जेल में मिलेगी विशेष देखभाल
द इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने जेल प्रशासन और सीबीआई को निर्देश दिया कि वे धीरज वधावन की सेहत का पूरा ख्याल रखें। इसके लिए पहले ही 11 डॉक्टरों की एक मेडिकल बोर्ड बनाई गई थी, जिसकी सिफारिशों के मुताबिक उन्हें जेल में ही विशेष इलाज मुहैया कराया जाएगा।
क्यों रद्द हुई जमानत?
दरअसल, धीरज वधावन ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि उनकी गंभीर बीमारियों का जेल में ठीक से इलाज नहीं हो पाएगा, लेकिन इस साल जुलाई में डॉक्टरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, धीरज को बस नियमित दवाएं, चेकअप और फिजियोथेरेपी की जरूरत है, जो जेल में भी दी जा सकती है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया।
क्या है मामला
जनवरी 2010 से दिसंबर 2019 के बीच 17 बैंकों के कंसोर्टियम ने डीएचएफएल को 42,871 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा दी। वधावन ने मुखौटा कंपनियों/कागजी इकाइयों को धन का गबन किया, जिन्हें ‘बांद्रा बुक एंटिटीज’ के नाम से जाना जाता है, और कंसोर्टियम को 34,926 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
पीरामल समूह ने 2021 में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के माध्यम से DHFL का नियंत्रण संभाला। अपनी जांच में सीबीआई ने पाया है कि धन प्राप्त करने के बाद, डीएचएफएल ने लगभग 87 शेल कंपनियों को लगभग 11,765 करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिनमें से 81 वधावन समूह की कंपनियों से संबंधित थीं।
इन कंपनियों को कंपनी के खातों की पुस्तकों में दर्ज नहीं किया गया था और इसके बजाय राशि को बिना किसी दस्तावेज, सुरक्षा या ऋण आवेदन के 2,60,315 फर्जी व्यक्तियों को दिए गए ऋण के रूप में दिखाया गया था। डीएचएफएल और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ यस बैंक और इसके संस्थापक राणा कपूर से जुड़े एक मामले सहित अन्य मामलों में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर रहे हैं।
