1 फरवरी, 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2025 पेश करेंगी। इस बजट से देश के मिडिल क्लास के साथ सभी सेक्टर को भी काफी उम्मीदें हैं। इनमें ऑटो सेक्टर भी शामिल है। पिछले कुछ सालों से इस सेक्टर में काफी तेजी देखने को मिली है। इसके बाद भी इस सेक्टर में काफी काम किया जाना बाकी है। खासकर, इलेक्ट्रिक व्हीकल का इंफ्रा काफी कमजोर है। आज भी लोग इलेक्ट्रिक कार खरीदकर उसे शहर से बाहर नहीं ले जा पाते। इस बजट को लेकर कई सुझाव भी आ रहे हैं।
मौजूदा पीएम ई-ड्राइव योजना 31 मार्च, 2026 तक लागू रहेगी। इसमें सरकार के द्वारा प्रति वाहन ₹5000/kWh की सब्सिडी दी जा रही है, जिसकी अधिकतम सीमा 10,000 रुपए है। इसका मतलब है कि एडवांस्ड बैटरी का उपयोग करने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अधिकतम 10,000 रुपए की छूट पर खरीदा जा सकता है। जो लोग इसे फाइनेंशियल ईयर 2025-26 में गाड़ी खरीदते हैं, उन्हें अधिकतम 5000 रुपए की छूट मिलेगा। कई लोगों के लिए प्रोत्साहन ईवी क्षेत्र को वह बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं जिसकी उसे आवश्यकता है। विशेष रूप से E4W क्षेत्र जिसे कोई प्रत्यक्ष छूट नहीं मिलती है।
हालांकि, मैन्युफैक्चरर दीर्घकालिक नीति स्थिरता की मांग कर रहे हैं। स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया के एमडी और सीईओ पीयूष अरोड़ा के अनुसार, “उत्पाद विकास चक्र काफी लंबा है और इसके लिए पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है। वाहनों और कम्पोनेंट के विभिन्न वर्गों के लिए जीएसटी संरचना को सरल बनाना एक और कार्य है।”
वहीं, मर्सिडीज-बेंज इंडिया के एमडी संतोष अय्यर बताते हैं कि “व्यापार बाधाओं को कम करने और नियामक ढांचे को सरल बनाने से भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और अधिक एकीकृत हो सकता है, जबकि कोई भी अतिरिक्त उपाय जो व्यवसाय करने की लागत को कम करता है, नए निवेशों को आकर्षित कर सकता है”।
वर्तमान में भले ही ईवी पर 5% जीएसटी लगता है, लेकिन कम्पोनेंट पर 15% से 28% कर लगाया जाता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री इलेक्ट्रिक व्हीकल कमेटी की अध्यक्ष सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने भी बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रिप्लेसमेंट बैटरी के लिए जीएसटी दरों में सुधार के बारे में बात की। वर्तमान में ईवी बैटरी सेल पर जीएसटी दर भी 18% है। यह देखते हुए कि ये सुधार जीएसटी परिषद के दायरे में आते हैं, यह संभावना नहीं है कि आगामी बजट में कोई व्यापक सुधार पेश किया जाएगा।
कई एक्सपर्ट ने यह भी बताया है कि विशेष रूप से कमर्शियल और इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट के लिए बेहतर फाइनेंशिंग ऑप्शन की आवश्यकता है। हालांकि, JSW MG मोटर्स इंडिया द्वारा पेश की गई सब्सक्रिप्शन प्लान काफी सफल साबित हुए हैं, लेकिन अन्य EV ब्रांड अभी तक इस तरह के मॉडल को लागू नहीं कर पाए हैं। फिलहाल, e2W और e4W दोनों की ज्यादातर कंपनी EV लोने पर ब्याज दरों को कम करने के लिए कहते हैं।
मैन्युफैक्चरर विशेष रूप से टियर-1 और टियर 2 शहरों में EV बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की आवश्यकता के बारे में भी बात कर रहे हैं। ग्रीव्स कॉटन लिमिटेड के उपाध्यक्ष नागेश बसवनहल्ली कहते हैं, “उत्पादों में चार्जिंग सिस्टम को मानकीकृत करना और पेट्रोलियम और ऊर्जा कंपनियों के सहयोग से चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश करना इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।” वर्तमान में, पीएम ई-ड्राइव योजना ने ई-4W के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, ई-2W या 3W के लिए 48,400 फास्ट चार्जर और ई-बसों के लिए 1800 फास्ट चार्जर लगाने का लक्ष्य रखा है।
स्टीलबर्ड हेलमेट्स के एमडी, राजीव कपूर ने कहा कि उद्योग अनुमानों के अनुसार, भारतीय हेलमेट बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना है, जो सड़क सुरक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और सख्त सरकारी नियमों से प्रेरित है। 2030 तक, इस बाजार के 10,000 करोड़ रुपए से अधिक होने और निर्माण, खुदरा और सहायक क्षेत्रों में 50 लाख से अधिक नौकरियां पैदा करने की संभावना है। हालांकि, इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है, फिर भी सस्ती कीमत, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और नकली उत्पादों जैसी चुनौतियां व्यापक अपनाने में बड़ी बाधा बनी हुई हैं।
लोहिया ऑटो के सीईओ, आयुष लोहिया ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है और पूरे ईवी इकोसिस्टम में लगभग 5 करोड़ नौकरियां पैदा करने की क्षमता रखता है। हालांकि, इस क्षेत्र ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी बैटरी निर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रमुख मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।
