नयी दिल्ली. राज्यसभा ने मंगलवार को आपदा प्रबंधन (संशोधन ) विधेयक 2024 को विपक्ष के संशोधनों को खारिज करते हुए ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने करीब साढे तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष के केन्द्रीकरण के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार आपदाओं से निपटने की राशि के वितरण तथा राष्ट्रीय संसाधनों को साझा करने में किसी तरह की राजनीति नहीं करती। गैर भाजपा शासित राज्यों को राहत राशि दिये जाने में पक्षपात के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि कानून और नियम के आधार पर किसी भी राज्य के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया और उन्हें निर्धारित राशि पूरी तरह दी गयी है। उन्होंने कहा कि राज्यों को निर्धारित कानून और नियमों के आधार पर अपनी जरूरत बतानी तथा धनराशि का अनुरोध भेजना चाहिए यदि ऐसा किया जायेगा तो उसमें एक पैसे की भी कमी नहीं की जायेगी।
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
कोरोना के समय गठित किये गये पी एम केयर्स फंड को लेकर सदस्यों की आपत्ति पर श्री शाह ने कहा कि यह फंड पूरी तरह से पारदर्शी ढंग से संचालित होता है और इसमें किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें केन्द्र सरकार के पांच शीर्ष मंत्री शामिल हैं जो इसके पदेन सदस्य हैं । अगली सरकार आयेगी तो उसके मंत्री इस फंड को संभालेंगे। इसकी निगरानी प्रधानमंत्री के सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति करती है। इस फंड से कोरोना, आपदा राहत , गरीब सहायता तथा टीकाकरण के लिए धन दिया गया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस ने प्रधानमंत्री राहत कोष का गठन किया था और इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष को दी गयी थी। उन्होंने कहा कि एक परिवार का इस कोष पर नियंत्रण था और इस कोष से राजीव गांधी फाउंउेशन को राशि दी जाती थी। इस फंड के लिए कोई निगरानी समिति नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा जाकिर नाइक की संस्था से भी धन दिया जाता था।
यह विधेयक आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में संशोधन करता है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एनडीएमए को यह अधिकार भी देता है कि वह केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से एक्ट के तहत नियमन बना सकता है। विधेयक में शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का प्रावधान किया गया है और यह राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह राजधानी और नगर निगम वाले शहरों के लिए एक अलग शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बना सकती है। शहरी प्राधिकरण की अध्यक्षता नगर निगम आयुक्त द्वारा की जाएगी, और जिला कलेक्टर द्वारा उसकी उपाध्यक्षता। अन्य सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। यह शहरी प्राधिकरण अपने तहत आने वाले क्षेत्र के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करेगा और उन्हें लागू करेगा।
श्री शाह ने कहा कि यह संवेदनशील विषय है इस पर चर्चा में अनेक सकारात्मक सुझाव मिले हैं। उन्होंने सदन और राज्य सरकारों को आश्वस्त किया कि आपदा प्रबंधन में निर्वाचित प्रतिनिधियों से लेकर आम आदमी तक को जोड़ा जा रहा है इसमें सत्ता के केन्द्रीकरण की कोई बात नहीं है। यह आपदा के खिलाफ लड़ाई है और इससे सकारात्मक भागीदारी से मिलकर निपटना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर प्रधानमंत्री के 10 सूत्री कार्यक्रम को 40 देशों ने अपनाया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में संस्थाओं के दायित्व और शक्तियों को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा का सीधा रास्ता जलवायु परिवर्तन से है और इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन का विचार नया नहीं है और इसके संकेत प्राचीन सभ्यता में भी मिलता है। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में यह संशोधन समय की जरूरत को देखकर लाया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा राहत में कार्यान्यवन की जिम्मेदारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की होती है इसलिए इसमें केन्द्रीकरण का सवाल ही नहीं उठता।
श्री शाह ने कहा कि यह संशोधन समय की जरूरत के आधार पर किया गया है क्योंकि पहला कानून पुराना हो गया था। उन्होंने कहा कि आपदाओं के आकार और पैमाने बदले हैं इसलिए इससे निपटने के तौर तरीके भी बदलने जरूरी हैं इसीलिए यह विधेयक लाया गया है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के लिए देश और दुनिया के विशेषज्ञों से सुझाव लिये गये और इनमें से 89 प्रतिशत सुझावों को शामिल कर इस विधेयक को तैयार किया गया है। विधेयक में ए आई आधारित रियल टाइम निगरानी के लिए इसमें प्रावधान किया गया है।
श्री शाह ने कहा कि विधेयक में संस्थाओं की जिम्मेदारी तय की गयी है। इसके साथ ही इनके कामकाज में पारदर्शिता भी सुनिश्चित की गयी है। भर्तियों की प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करने के साथ साथ इसे पारदर्शी बनाया गया है। राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति को वैज्ञानिक दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी सुधार सत्ता के केन्द्रीकरण के लिए नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण का नुकसान रोकने और नुकसान की वैज्ञानिक तरीके से भरपाई करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात में राज्य सरकार 2003 में सबसे पहले आपदा प्रबंधन कानून लेकर आयी। मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन में जीरो कैजुअल्टी का लक्ष्य रखा हैऔर इसे हासिल भी किया जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2024 में एसडीआरएफ का बजट एक लाख 24 हजार करोड़ रूपये का था जबकि राष्ट्रीय आपदा कोष का बजट 80 हजार करोड़ का है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ ने पड़ोसी देशों में भी बचाव और राहत अभियान चलाये हैं। अनेक देशों के साथ सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि देश के 350 जिलों में आपदा मित्र योजना शुरू की गयी है और इसमें बीस हजार महिलाओं सहित एक लाख आपदा मित्र हैं देश भर में ।
उन्होंने कोविड प्रबंधन में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दुनिया भर में सबसे बेहतर रहा है। प्रधानमंत्री ने 40 बार मुख्यमंत्रियों के साथ बात की इससे बड़ा सहकारी संघवाद का उदाहरण कहां मिलेगा।
श्री शाह ने कहा कि वायनाड की आपदा को गंभीर दर्जे की आपदा घोषित करते हुए 215 करोड रूपये की राशि जारी की गयी है और आपदा में राजनीति नहीं की जाती।
