आम चुनाव में कांग्रेस 50, तृणमूल कांग्रेस 15 सीट भी नहीं जीत सकती : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर में कहा कि आम चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) न केवल 370 सीटें हासिल करेगा, बल्कि 400 का आंकड़ा पार कर सकता है, लेकिन कांग्रेस का 50 सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल है और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 15 सीट भी नहीं जीत सकती।
श्री मोदी आज पश्चिम बंगाल और झारखंड के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री दुर्गापुर में जनसभा को संबोधित करने के बाद कृष्णानगर पहुंचे। उन्होंने यहां कांग्रेस के साथ-साथ टीएमसी पर निशाना साधा है। श्री मोदी ने कहा कि पूरे देश में एक बार फिर से भाजपा की लहर चल रही है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव देश के भविष्य के लिए अहम चुनाव है और हिंदुस्तान को आगे बढ़ाने का चुनाव है। देश को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने का चुनाव है।
श्री मोदी ने भाजपा उम्मीदवारों अमृता रॉय, (कृष्णनगर), जगन्नाथ सरकार (राणाघाट) और निर्मल साहा (बहरामपुर) लोकसभा सीटों के लिए के लिए एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए यह दावा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और टीएमसी सहित इंडिया समूह से जुड़े सहयोगी निर्णय लेने के लिए आपस में लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चार जून के बाद मुख्य विपक्ष कौन होगा, यह मैं नहीं बता सकता क्योंकि पूरे भारत में मतदाताओं ने ‘विकसित भारत’ के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को तीसरे कार्यकाल के लिए वापस करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, “इस बार लोगों ने तय कर लिया है कि भाजपा के नेतृत्व वाला राजग न केवल 370 सीटें जीतने के लिए तैयार है, बल्कि 400 के पार जाने की उम्मीद कर रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “कांग्रेस, वामपंथी और टीएमसी की तुष्टीकरण नीति यहां तक ​​पहुंच गई है कि वे वोट बैंक खोने के डर से उन हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिक संशोधित अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे हैं, जो यहां आकर लंबे समय तक शरणार्थी के रूप में रहे।”
श्री मोदी ने आरोप लगाया कि टीएमसी इस तरह के अधिनियम को लागू नहीं करने के लिए सबसे मुखर है। साथ ही उन्होंने कहा,“सीएए को कोई नहीं रोक सकता और यह मोदी की गारंटी है।”
श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने भारत को धार्मिक आधार पर बांटने का काम किया है, लेकिन पिछले 70 वर्षों में जो हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध भारत आने के बाद छूट गए, अगर उन्हें नागरिकता का अधिकार दिया जाए तो उनकी दुर्दशा ठीक हो जाएगी।

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