प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय रेल के विकास को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता और आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत की गारंटी करार देते हुए आज कहा कि भारतीय रेल आधुनिकता की रफ्तार पर ऐसे ही तेजी से आगे बढ़ती रहेगी तथा अगले पांच साल में रेलवे का ‘अकल्पनीय कायाकल्प’ दिखायी देगा।
श्री मोदी ने आज यहां एवं वर्चुअल माध्यम से आयोजित अब तक के सबसे बड़े सरकारी आयोजन में एक लाख छह हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण किया जिनमें से 85 हजार 457 करोड़ रुपए की परियोजनाएं सिर्फ रेलवे से जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री ने दस नयी वंदे भारत एक्सप्रेस गाड़ियों का शुभारंभ किया और चार मौजूदा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के मार्ग का विस्तार का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय रेल, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सी आर पाटिल भी उपस्थित थे।
इस मौके पर वीडियो लिंक के माध्यम से 5960 स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिनमें लगभग दस हजार स्क्रीन के माध्यम से करीब एक करोड़ लोगों ने इसे देखा। करीब सात सौ स्थानों पर राज्यपाल, उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, मंत्री आदि भी उपस्थित थे।
जिन परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया, उनमें साै सेक्शनों पर करीब 2500 किलोमीटर लंबी नयी लाइनें/ मल्टी ट्रैकिंग/ गेज़ परिवर्तन तथा डेढ़ हजार से अधिक ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ स्टाॅल, 2135 किलोमीटर विद्युतीकरण, 19 रेलवे वर्कशॉप/लोकोशेड, पिट लाइनें, कोचिंग डिपो आदि शामिल हैं। इसके अलावा दस नयी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का शुभारंभ किया गया और चार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के मार्ग में विस्तार किया गया। दो नयी एक्सप्रेस ट्रेनों का भी शुभारंभ हुआ है। इसके साथ ही 51 गतिशक्ति मल्टी मॉडल कार्गो टर्मिनल, 2646 स्टेशनों पर डिजीटल कंट्रोल रूम, 80 सेक्शनों पर 1045 किलोमीटर मार्ग पर ऑटोमैटिक सिगनलिंग, 50 स्टेशनों पर प्रधानमंत्री जनौषधि केन्द्र, 975 स्थानों पर सौर ऊर्जा चालित स्टेशन एवं कार्यालय भवनों के साथ साथ 35 रेल कोच रेस्त्रां का भी उद्घाटन किया गया तथा उन्होंने दहेज में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले पेट्रोनेट एलएनजी के पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स की आधारशिला भी रखी तथा गुजरात और महाराष्ट्र में एकता मॉल्स का भी शिलान्यास किया।
इस मौके पर श्री मोदी ने अपने संबोधन में इस इतने वृहद स्तर का कार्यक्रम आयोजित करने की सराहना करते हुए कहा कि कहा कि देश के कोने-कोने से 700 से ज्यादा स्थानों पर इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं। रेलवे के इतिहास में एक साथ हिन्दुस्तान के हर कोने में इतना बड़ा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ होगा। सौ साल में पहली बार हुआ ये कार्यक्रम होगा। इसके लिए वह रेलवे को भी इस भव्य आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत के लिए हो रहे नव-निर्माण का लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कोने-कोने में परियोजनाओं का लोकार्पण हो रहा है, नई योजनाएं शुरू हो रही हैं। वर्ष 2024 मेें शुरुआती 75 दिनों में ही वह करीब 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर चुके हैं। पिछले 10-12 दिन में ही सात लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। आज भी विकसित भारत की दिशा में देश ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। इस कार्यक्रम में अब यहां एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है जिनमें से 85 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक से सिर्फ और सिर्फ रेलवे की परियोजनाएं देश को मिली हैं।
उन्होंने कहा, “आज रेलवे के ही कार्यक्रम में पेट्रोलियम वालों का एक और कार्यक्रम जुड़ गया। गुजरात के दहेज में 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनने वाले पेट्रोकेमिकल परिसर का भी शिलान्यास हुआ है। ये परियोजना हाइड्रोजन उत्पादन के साथ-साथ देश में पॉलि-प्रोपिलीन की मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभाने वाला है। गुजरात और महाराष्ट्र में एकता मॉल्स भारत के समृद्ध कुटीर उद्योग, हमारे हस्तशिल्प, हमारा वोकल फॉर लोकल का जो मिशन है उसको देश के कोने-कोने तक ले जाने में सहायक होंगे और उसमे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की नीव को भी मजबूत होते हम देखेंगे।”
उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए देशवासियों को बधाई देते हुए कहा, “मैं मेरे नौजवान साथियों से कहना चाहता हूं, भारत एक युवा देश है, बहुत बड़ी तादाद में युवा रहते हैं देश में, मैं खास तौर पर मेरे युवा साथियों से कहना चाहता हूं। आज जो लोकार्पण हुआ है वो आपके वर्तमान के लिए है। और आज जो शिलान्यास हुआ है वो आपके उज्जवल भविष्य की गारंटी लेकर के आया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से ही भारतीय रेल सरकारों के राजनीतिक स्वार्थों की बहुत बड़ी शिकार रही है। वर्ष 2014 के पहले के 25-30 रेल बजट देखें तो रेल मंत्री देश की संसद में बोलते थे कि हमारी अमुक ट्रेन का वहां स्टोपेज दे देंगे। वहां हम डिब्बे 6 हैं तो 8 कर देंगे। और संसद में भी तालियां बजती थी। यानी यही सोच रही थी कि स्टोपेज मिला की नहीं मिला? ट्रेन वहां मेरे स्टेशन तक आती है, आगे बढ़ी या नहीं। उन्होंने कहा, “21वीं सदी में यही सोच रही होती तो देश का क्या होता? और मैंने पहला काम किया रेल के अलग बजट को समाप्त कर के केन्द्र सरकार के बजट में डाल दिया और उसके कारण आज केन्द्र सरकार के बजट के पैसे रेलवे के विकास के लिए लगने लगे।”
श्री मोदी ने कहा, “दुनियाभर में कहीं भी देखें, जो देश समृद्ध हुए, औद्योगिक रूप से सक्षम हुए, उनमें रेलवे की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसलिए, रेलवे का कायाकल्प भी विकसित भारत की गारंटी है। आज रेलवे में अभूतपूर्व गति से सुधार हो रहे हैं। तेज गति से नए रेलवे ट्रैक का निर्माण, 1300 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण, वंदे भारत, नमो भारत, अमृत भारत जैसी नयी पीढ़ी की ट्रेन, आधुनिक रेलवे इंजन और कोच फैक्ट्रियां, ये सब 21वीं सदी की भारतीय रेल की तस्वीर बदल रही हैं।”
