मोजे के निशान: शरीर का ये अलर्ट समझें, हो सकती है बड़ी बीमारी

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लोग व्यस्तता, थकान या अज्ञानता के कारण स्वास्थ्य, मानसिक तनाव और पारिवारिक चुनौतियों जैसे गंभीर मुद्दों को छोटी-मोटी बात समझकर अकसर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में बड़ी मुसीबत का कारण बन सकते हैं। ऐसी ही समस्या आपके मोजों से भी जुड़ी हुई है। क्या आप भी जूते उतारते समय पैरों पर पड़े मोजों के निशान को टाइट इलास्टिक वजह मानकर नजर अंदाज कर देते हैं? अगर हां तो आप अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। अगर ये निशान रोज पड़ रहे हैं और लंबे समय तक नहीं जाते, तो यह आपके शरीर में वॉटर रिटेंशन (Edema) या खराब ब्लड सर्कुलेशन का इशारा हो सकता है। सीके बिड़ला हॉस्पिटल के वैस्कुलर सर्जन डॉ. दिग्विजय शर्मा कहते हैं कि मेडिकल भाषा में इसे ‘एडिमा’ कहते हैं, जिसमें शरीर के निचले हिस्सों में तरल पदार्थ जमा होने लगता है। यह समस्या कभी-कभी सामान्य थकान की वजह से होती है, तो कभी यह हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की कार्यक्षमता में कमी या दिल से जुड़ी बीमारियों का शुरुआती संकेत भी हो सकती है। इसलिए, अगर आपको निशानों के साथ पैरों में भारीपन या सूजन महसूस हो, तो इसे मामूली समझकर टालने की गलती न करें।

हर बार टाइट इलास्टिक नहीं होती वजह

अगर आप हर बार मोजे उतारने के बाद पैरों पर गहरे गड्ढे जैसे निशान देखते हैं, तो यह सिर्फ टाइट इलास्टिक की वजह से ही नहीं होता है। पैरों पर लगातार मोजों के निशान बनना पेडल एडिमा का शुरुआती और साफ संकेत भी हो सकता है। पेडल एडिमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैरों, टखनों और पिंडलियों में ज्यादा पानी जमा हो जाता है। जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को कभी-कभी पैरों में हल्की सूजन लंबे समय तक खड़े रहने, बैठने, यात्रा करने या ज्यादा गर्मी महसूस हो सकती है, लेकिन अगर ये निशान बार-बार दिखें या बढ़ते जाएं, और साथ में भारीपन, खिंचाव या शाम के समय सूजन बढ़े, तो इसे मामलू समझकर नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

कब होता है पेडल एडिमा?

पेडल एडिमा तब होता है जब छोटी रक्त नलिकाओं से तरल आसपास के टिश्यू में शरीर की क्षमता से ज्यादा तेजी से बाहर निकल जाता है। इससे पैरों में सूजन आ जाती है, जिसे दबाने पर कुछ देर के लिए गड्ढा बन जाता है। मोजे इस सूजन को और ज्यादा साफ दिखा देते हैं, क्योंकि उनका इलास्टिक सूजे हुए हिस्से को दबाता है और निशान छोड़ देता है। भले ही रात में सूजन कुछ कम हो जाए, लेकिन इसका बार-बार होना किसी अंदरूनी समस्या की तरफ इशारा करता है।

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पेडल एडिमा के कारण

पेडल एडिमा के कारण आमतौर पर दिल, लिवर, किडनी और शरीर की रक्त संचार प्रणाली से जुड़े होते हैं। दिल से जुड़ी समस्याओं में खून का सही तरीके से सर्कुलेशन नहीं हो पाता, जिससे गुरुत्वाकर्षण के कारण पैरों में पानी जमा होने लगता है। किडनी से जुड़ी दिक्कतों में शरीर नमक और पानी का संतुलन ठीक से नहीं रख पाता, जिससे टखनों और पैरों में सूजन दिखाई देती है। लिवर की बीमारियों में खून में प्रोटीन की मात्रा कम हो सकती है, जिससे तरल बाहर निकलकर टिश्यू में जमा हो जाता है।

नजरअंदाज किए जाने वाले कारण

सबसे आम लेकिन अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले कारण हैं रक्त संचार प्रणाली से जुड़ी समस्याएं, खासकर वेनस (नसों से जुड़ी) और लिम्फैटिक गड़बड़ियां। वेनस समस्या तब होती है जब पैरों की नसें खून को ठीक से दिल तक वापस नहीं पहुंचा पातीं, जिससे खून और तरल पैरों में जमा होने लगता है। लिम्फैटिक समस्या में लिम्फ फ्लूइड की सही ड्रेनेज नहीं हो पाती, जिससे पैरों और पैरों के तलवों में लगातार या धीरे-धीरे बढ़ने वाली सूजन हो जाती है।

क्या है उपचार

वैस्कुलर इलाज के नजरिए से देखा जाए, तो अगर वेनस और लिम्फैटिक समस्याओं को समय रहते पहचानकर वर्गीकृत करते हुए इलाज शुरू कर दिया जाए, तो ये काफी हद तक ठीक हो सकती हैं। शुरुआती जांच से सही इलाज संभव होता है, जिससे सूजन कम होती है, तकलीफ घटती है और त्वचा में बदलाव, इंफेक्शन या चलने-फिरने में दिक्कत जैसी लंबी समस्याओं से बचा जा सकता है। इलाज में जीवनशैली में बदलाव, कंप्रेशन थेरेपी, दवाइयां या जरूरत पड़ने पर अन्य प्रक्रिया शामिल हो सकती हैं।

डॉक्टर की सलाह कब जरूरी-

पैरों पर बार-बार पड़ने वाले मोजों के निशानों को अनदेखा करने से बीमारी की पहचान में देर हो सकती है और समस्या बढ़ सकती है। खासतौर पर तब डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है, जब सूजन लगातार बनी रहे, एक पैर में ज्यादा हो, या इसके साथ दर्द, सांस फूलना या त्वचा का रंग बदलना जैसे लक्षण दिखें। कई बार आपके पैर आपको पहले ही चेतावनी दे रहे होते हैं, इन छोटे संकेतों को समझकर आप अपनी सेहत की रक्षा कर सकते हैं और समय पर सही इलाज पा सकते हैं।

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