रायगढ़। राज्य में नई रेत खदान आवंटन नीति का श्रीगणेश हो चुका है। रायगढ़ जिले से पांच खदानों को नीलामी के लिए रखा गया है। नवंबर में नीलामी के बाद आवंटन पूरा हो जाएगा। इसके बाद पर्यावरणीय स्वीकृति ली जाएगी। इस काम में भी तीन महीने लगेंगे। चार महीने बाद ही उत्पादन शुरू होगा।
रायगढ़ जिले में बायसी, बरभौना, पुसल्दा, लेबड़ा और कंचनपुर रेत खदानों की नीलामी की जा रही है। हालांकि जिले में १६ रेत खदान चिह्नित किए गए थे। इनमें से पांच को ही अभी चुना गया है।
नवंबर में नीलामी के बाद आवंटन होना है। इसके बाद एग्रीमेंट निष्पादित होगा। तब पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आवेदन करना होगा। पिछले चार साल में एक भी नई रेत खदान का आवंटन नहीं हो सका है। केवल एक ही रेत खदान उसरौट सक्रिय थी। उसरौट को भी सील कर दिया गया था। पेनाल्टी चुकाने के बाद उसरौट को वापस से संचालन की अनुमति दी जानी है जो किसी कारणवश रोकी जा रही है। इसका मतलब यह है कि आने वाले चार महीने तक कोई भी वैध रेत खदान जिले में नहीं होगी।
मजबूरी में रेत का अवैध खनन व परिवहन ही किया जाएगा। जो मकान बन रहे हैं या जो रोड बन रही है, उसमें रेत का उपयोग तो होगा ही। रायगढ़ में सहसपुरी, पचेड़ा, दुलोपुर, औराभाटा, बोकरामुड़ा, डूमरपाली, कछार, रानीगुड़ा, जोगड़ा-ए, जोगड़ा-बी और रिलो में भी रेतघाट आवंटन की तैयारी है।
