रायपुर, योग गुरु रामदेव के होम्योपैथी बनाम एलोपैथी विवाद ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। कोविड महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ रामदेव के कथित बयानों को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है और मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। यह जानकारी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दी गई।
क्या है पूरा मामला?
कोविड के दौर में रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कुछ बयान दिए थे, जिन्हें लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कड़ा ऐतराज जताया। IMA के पटना और रायपुर चैप्टर ने 2021 में शिकायत दर्ज की थी कि रामदेव के बयानों से कोविड नियंत्रण तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है और लोग इलाज से विमुख हो सकते हैं। इसके बाद रामदेव के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 के तहत मामला दर्ज हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच को बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। मेहता ने यह भी दावा किया कि रामदेव के खिलाफ शिकायतें कुछ स्वार्थी समूहों द्वारा प्रायोजित लगती हैं। वहीं, रामदेव की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने कोर्ट के निर्देशों का पालन किया, लेकिन बिहार की ओर से अभी जवाब आना बाकी है। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई दिसंबर तक के लिए टाल दी।
रामदेव ने क्या कहा था?
2021 में रामदेव ने दावा किया था कि वह एलोपैथिक दवाओं में विश्वास नहीं करते। उनके इस बयान से डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग नाराज हो गया और कई जगह उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज हुईं। हालांकि, तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के पत्र के बाद रामदेव ने अपने बयान वापस ले लिए थे। उन्होंने कहा था कि उनके बयान गलत थे।
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की दखल
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA), जिसमें 15,000 डॉक्टर शामिल हैं, ने भी इस मामले में दखल देने की मांग की। DMA का आरोप है कि रामदेव ने न केवल एलोपैथी का अपमान किया, बल्कि लोगों को वैक्सीन और इलाज के प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करने के लिए उकसाया। DMA ने यह भी दावा किया कि रामदेव की कंपनी पतंजलि ने कोरोनिल किट बेचकर 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की, जो बिना किसी सक्षम अथॉरिटी की मंजूरी के थी।
रामदेव ने केंद्र सरकार, बिहार, छत्तीसगढ़ और IMA को इस मामले में पक्षकार बनाया है। उनकी याचिका में आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। कोर्ट ने पहले शिकायतकर्ताओं को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। अब दिसंबर में होने वाली अगली सुनवाई में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद सुलझ पाता है या नया मोड़ लेता है।
