नागपुर में नकली नोटों का बड़ा रैकेट पकड़ा गया, एटीएस ने की बड़ी कार्रवाई

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नागपुर पुलिस ने मंगलवार को नकली नोटों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इसके पहले भी बंगाल के रास्ते देशभर में नकली नोटों की सप्लाई किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं लेकिन वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद इस तरह के मामले कम हो गए थे। अब दोबारा 2 लोगों के नकली नोटों के साथ पकड़े जाने से फिर नकली नोटों का काला धंधा शुरू होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

पकड़े गए आरोपियों में सादीपुर, मालदा निवासी जमीनरुल हुसैन लोकमान शेख हुसैन (27) और दुलालगंज मालदा निवासी अजीमतानु शेख (29) का समावेश है। मंगलवार की रात 12 बजे के दौरान तहसील थानेदार शुभांगी देशमुख, पीएसआई राहुल वाढ़वे, शेख रसूल, एएसआई राजेश ठाकुर, कांस्टेबल फिरोज खान, विनोद कातुरे, पवन साखरकर और संदीप शिरफुले परिसर में गश्त कर रहे थे।

मेयो अस्पताल से सटे गार्डलाइन परिसर में पुलिस को दोनों आरोपियों संदेहास्पद स्थिति में जाते दिखाई दिए। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पहले काम की तलाश में नागपुर आने की जानकारी दी। बैग की तलाशी लेने पर एक प्लास्टिक में 500 रुपये के 243 नोट दिखाई दिए। मजदूरों के पास इतनी मोटी रकम होने से पुलिस का संदेह बढ़ गया। दोनों को थाने ले जाकर जांच करने पर नोट नकली होने का पता चला।

हूबहू असली नोट की तरह दिखने वाले इन नोटों के बारे में पूछताछ करने पर आरोपियों ने बताया कि सोमवार को दोनों चोरी करने के इरादा लेकर हावड़ा से गीतांजलि एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुए थे। यात्रा के दौरान दोनों ने एक यात्री की बैग उड़ाई और मंगलवार की सुबह 10 बजे के दौरान नागपुर स्टेशन पर उतर गए। दिनभर आसपास घूमते रहे और रात को भोजन करके वापस हावड़ा जाने की तैयारी थी।

पुलिस ने दोनों के खिलाफ बीएनएस की धारा 179,180, 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है। बुधवार को पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया। अदालत ने उन्हें 5 दिन की पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए हैं। पीआई शुभांगी देशमुख ने बताया कि दोनों आरोपी बार-बार वही कहानी दोहरा रहे हैं। पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान उनसे सच उगलवाया जाएगा।

पुलिस को इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह होने का संदेह है। इसके पहले भी सीमा पार से नकली नोट भेजकर देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का प्रयास होता रहा है। इससे एक बार फिर पड़ोसी देशों से नकली नोटों की तस्करी करने वाली गैंग सक्रिय होने का पता चलता है। नकली नोट सीमा पार से लाए जाते हैं। पहले नकली नोट का गिरोह नेपाल से ऑपरेट करता था। वहां सख्ती बढ़ने के बाद से बांग्लादेश से काम शुरू हुआ।

अब पूरे देशभर में बांग्लादेश से ही नोट सप्लाई किए जाते हैं। बांग्लादेश में गरीब मजदूरों को कुरियर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें नकली नोटों की खेप बंगाल सीमा से भारत में पहुंचाने का काम दिया जाता है। बंगाल के दलाल आधी कीमत में नकली नोट बेचते हैं। 1 लाख रुपये देने पर 2 लाख रुपये के नकली नोट मिलते हैं। आसानी से पैसा कमाने का इससे अच्छा माध्यम गरीब तबके के लोगों के पास नहीं है। नोट भी बिल्कुल असली दिखने वाले होते हैं जिन्हें आम इंसान पहचान भी नहीं पाता।

नकली नोट फैलाने के लिए बाहरी मजदूरों का सहारा लिया जा रहा है। बंगाल से मजदूरी करने आने वाले लोगों को यह नोट दिए जाते हैं। छोटे साप्ताहिक बाजारों में ये लोग नोट चलाते हैं। इसके पहले भी कई बार नकली नोट चलाने वालों को पकड़ा जा चुका है। पुलिस नोट चलाने वाले को तो पकड़ लेती है लेकिन इसके पीछे जो रैकेट चलता है उस तक पहुंच पाने में अब तक नाकाम है।

पुलिस की गतिविधि शुरू होते ही एजेंट सीमा पार कर लेते हैं। स्थानीय पुलिस का संरक्षण इन्हें मिला हुआ है। नकली नोटों के साथ पकड़े जाने वाले अधिकांश मजदूर बंगाल के ही होते हैं। अब इन 2 आरोपियों को नकली नोट लेकर किसने भेजा और खेप किसे पहुंचाई जानी थी यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

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