अमेरिका की तरफ से दी जा रही टैरिफ की धमकियों के बीच भारत ने भी जबाव दे दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी जरूरी होगा, वो किया जाएगा। वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूसी तेल की खरीद के चलते भारत पर और ज्यादा टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले ही ट्रंप ने भारत ने पर 25 फीसदी टैरिफ और जुर्माना लगाने का ऐलान किया है।
भारत का जवाब
भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए नई दिल्ली को ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है।
भारत ने खोली अमेरिका की पोल
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारत ने रूस से आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।
बयान में कहा गया है, ‘उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत रूस से जो आयात करता है, उसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की लागत को किफायती बनाए रखना है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखे हुए है।
भारत क्यों रूस से खरीदता है तेल
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद से ही भारत ने रूस से भारी मात्रा में खरीदारी शुरू की है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और जून 2025 के बीच भारत ने रूसी कच्चे तेल के 10 लाख 75 हजार बैरल हर रोज खरीदे हैं। खास बात है कि यह भारत की कुल तेल मांग का 36 से 40 फीसदी है।
कहा जा रहा है कि इसके चलते भारत को मुद्रास्फीति को नियंत्रितकरने र आयात का खर्च करने में मदद मिली। रिपोर्ट के अुसार, साल 2022 और 2023 में अमेरिकी अधिकारियों निजी तौर पर भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए कहा था, ताकि वैश्विक स्थिरता बनाकर रखी जा सके।
अब भड़के क्यों हैं ट्रंप
सोमवार को ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा, ‘भारत न सिर्फ रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, बल्कि मोटा मुनाफा कमाने के लिए खुले बाजार में बेच रहा है। उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि रूसी युद्ध मशीन के चलते यूक्रेन में कितने लोग मर रहे हैं।’
माना जा रहा है कि ट्रंप के इन फैसलों का मकसद अमेरिकी तेल निर्यात को बढ़ावा देना है। दरअसल, ट्रंप के प्रचार करने वालों में बड़े अमेरिकी ईंधन कारोबारी थे। साथ ही उनका ताजा टैक्स पैकेज तेल और गैस सेक्टर को करीब 18 बिलियन डॉलर की सौगात दे रहा है।
अब भारत तेल का बड़ा ग्राहक है। खबर है कि 2025 के शुरुआती 6 महीनों में ही भारत आने वाली अमेरिकी तेल की खेप में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। अगर भारत अमेरिकी तेल और एलएनजी के प्रति आकर्षित होता है, तो इससे अमेरिका को ऊर्जा के क्षेत्र में दबदबा बनाने में मदद मिलेगी।
