रायपुर : भारतमाला परियोजना से जुड़े मुआवजा घोटाले की जांच छत्तीसगढ़ में तेज हो गई है। एडिशनल कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित चार जांच टीमें रायपुर और दुर्ग संभाग में सामने आई 400 से ज्यादा नई दावा-आपत्तियों की पड़ताल कर रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जांच दलों ने संबंधित पटवारियों से मुआवजा वितरण से जुड़े दस्तावेज और रिपोर्ट तलब किए हैं। साथ ही, पक्षकारों और शिकायतकर्ताओं को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं।
रायपुर-दुर्ग में लगातार बढ़ रही आपत्तियां
रायपुर संभाग में अब तक 150 से अधिक और दुर्ग संभाग में 250 से ज्यादा दावा-आपत्तियां दर्ज हो चुकी हैं। अनुमान है कि विधानसभा के मानसून सत्र से पहले जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।
क्या है मामला?
विशाखापट्टनम-रायपुर कॉरिडोर के निर्माण के तहत भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थी। आरोप है कि तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू और अन्य राजस्व अधिकारियों ने भूमाफियाओं को वास्तविक से कई गुना अधिक मुआवजा दिलाया, जिससे सरकार को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इस मामले के उजागर होने के बाद मार्च में एसडीएम निर्भय साहू, दो तहसीलदार और तीन पटवारियों को निलंबित कर दिया गया था। उस समय निर्भय साहू जगदलपुर नगर निगम में आयुक्त पद पर कार्यरत थे।
सरकार ने मामले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंपी है, जो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच कर रही है। कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं, लेकिन अब तक आरोपी फरार हैं।
